नई दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए समय रहते रक्षात्मक कदम न उठाने के लिए दिल्ली सरकार को फटकार लगाते हुए राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने आज उसे धूल-मिट्टी को बैठाने के लिए पानी का छिड़काव करने के लिए कहा है। एनजीटी ने छिड़काव के लिए हेलीकॉप्टरों के इस्तेमाल तक के लिए कहा है।
एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण पर काबू पाने के लिए आपने क्या रक्षात्मक कदम उठाए? हम आपसे पूछना चाहते हैं कि आपके प्रशासन ने सड़कों पर पानी पहले क्यों नहीं छिड़का? आप धूल से पैदा होने वाले प्रदूषण पर काबू पाने के लिए हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल क्यों नहीं कर सकते? क्या वे सिर्फ आपके अधिकारियों को ले जाने के लिए ही हैं?’
एनजीटी ने ये टिप्पणियां उस समय कीं, जब पीठ अपनी दिन की कार्यवाही को शुरू करने वाली थी। पीठ ने कहा कि लगातार आठवें दिन राजधानी को घेरे रखने वाला स्मॉग (प्रदूषित धुंध) लोगों के, खासकर बच्चों के स्वास्थ्य पर असर डाल रहा है। आप सरकार को इस स्थिति से निपटने के तत्काल कुछ कदम उठाने चाहिए। अधिकरण ने पड़ोसी राज्यों पंजाब, हरियाणा और राजस्थान पर भी उनके इलाकों में फसलों के अवशेष जलाने के लिए टिप्पणी की और उनसे उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए कहा।
पीठ ने कहा कि आप अपने राज्यों में फसलों को जलाने पर नियंत्रण करने के लिए क्या कर रहे हैं? पंजाब में कृषि वाली 70 प्रतिशत जमीन जल रही है। क्या आपकी कोई जिम्मेदारी नहीं बनती? लोग वायु प्रदूषण से मर रहे हैं और आप कुछ भी नहीं कर रहे।’
पीठ ने कहा कि सभी राज्य एक-दूसरे पर बोझ लाद रहे हैं। आप लोगों को जनता के स्वास्थ्य की कोई चिंता नहीं है। स्मॉग के कारण बच्चे घरों से बाहर जाने के लायक नहीं हैं। देखिए, आपने दिल्ली का क्या हाल कर दिया है। एनजीटी ने कहा कि नासा ने यह दिखाने के लिए तस्वीरें ली हैं कि फसलों को जलाए जाने की वजह से राष्ट्रीय राजधानी में स्मॉग है। पीठ ने राज्य सरकारों से कहा कि वे एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालने के बजाय इस दिशा में अपनी उर्जा लगाएं।
एनजीटी ने नागरिक निकायों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि निर्माण सामग्री को सड़कों पर न रखा जाए और उसके द्वारा जारी किए गए निर्देशों को सख्ती से लागू किया जाए। मामले की अगली सुनवाई कल रखी गई है। इससे पहले, अधिकरण ने ‘एक-दूसरे पर आरोप मढ़ने’ के लिए और दिल्ली में प्रदूषण के भयावह स्तर से निपटने के लिए कदम न उठाने के लिए केंद्र और आप सरकार को फटकार लगाई थी। प्रदूषण के मौजूदा स्तर को पिछले 17 साल का सबसे भयावह स्तर बताया जा रहा है। मौजूदा स्थिति को एक ‘आपातस्थिति’ जैसा बताते हुए एनजीटी ने कहा कि केंद्र, दिल्ली सरकार और अन्य अधिकारी वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर और दिल्ली के नागरिकों के स्वास्थ्य पर इसके कारण पड़ने वाले परिणामों को लेकर ‘‘चिंतित नहीं’ हैं, बल्कि वे इसका ‘आरोप एक-दूसरे पर मढ़ने’ में लगे हैं।
दूसरी तरफ केंद्रीय पर्यावरण मंत्री अनिल दवे ने कहा है कि दिल्ली में 80 प्रतिशत समस्या खुद की है जबकि 20 प्रतिशत समस्या दूसरे राज्यों में फसलों के जलाने के कारण होती है। दवे ने कहा कि मामले में राज्य सरकार को सख्त कदम उठाने की जरुरत है। दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में प्रदूषण के बिगड़ते स्तर की उचित निगरानी की मांग करने वाली एक याचिका पर उच्चतम न्यायालय कल सुनवाई करेगा । सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली में वायु प्रदूषण की चिंताजनक स्थिति पर एक याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करेगा। न्यायालय को बताया गया है कि उसने पहले कई निर्देश दिए थे, लेकिन उन्हें प्रभावी तरीके से लागू नहीं किया गया है।