बेंगलुरू। अमेरिकी प्रशासन द्वारा सॉफ्टवेयर इंजीनियरों को एच-1बी वीजा जारी करने के नए कदम से भारतीय आईटी कंपनियों पर कुछ खास फर्क नहीं पड़ने वाला है। उद्योग के शीर्ष निकाय नैसकॉम ने शुक्रवार को यह बात कही।
नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विसिस कंपनीज (नैसकॉम) ने यहां एक बयान में कहा, नए कदम गैरजरूरी और अनावश्यक बोझ साबित होंगे। इससे हमारी सदस्य कंपनियों पर कुछ खास फर्क नहीं पड़ने वाला है, जो क्लाइंट कंपनियों को समाधान प्रदान करती हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बाय अमेरिकन और हायर अमेरिकन नीति पर चलते हुए अमेरिकी नागरिक और आव्रजन सेवा (यूएससीआईएस) ने गुरुवार को नीति में बदलाव करते हुए यह व्यवस्था दी है कि भर्ती करनेवाली कंपनियों को यह साबित करना होगा कि थर्ड पार्टी वर्क साइट पर काम करने के लिए इस वीजा पर बुलाए जा रहे कर्मचारी का काम विशिष्ट प्रकार का है और उसे खास जरूरत के लिए बुलाया जा रहा है।
नैसकॉम के अध्यक्ष आर. चंद्रशेखर ने आईएएनएस को बताया, लचीले भारतीय आईटी उद्योग ने यह दर्शाया है कि प्रायोजक नियोक्ता के रूप में, वे अपने वीजा धारकों के साथ नियंत्रण और रिश्ते बनाए रखते हैं।
आईटी निकाय ने कहा है कि वह इसके प्रभावों पर नजर रखे हुए है और इस बारे में जानकारियां साझा की जाएंगी।