नयी दिल्ली : गरीबी पर गठित कार्यबल (टार्स्क फोर्स) ने अपनी रिपोर्ट प्रधानमंत्री कार्यालय को सौंप दी है और इसने गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले (बीपीएल) लोगों की पहचान के लिए एक समिति गठित करने का सुझाव दिया है।
यह कार्यबल नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढिया की अध्यक्षता में गठित किया गया था। इसमें आयोग के सदस्य बिबेक देबराय व ग्रामीण विकास तथा आवास व शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय के सचिव भी थे। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कार्यबल ने बीपीलए जनसंख्या को परिभाषित करने के लिए राज्यों से भागीदारी का भी सुझाव दिया है।
अधिकारी ने कहा कि कार्यबल ने अपनी रपट दाखिल कर दी है और इसमें सुझाव दिया है कि बीपीएल जनसंख्या को परिभाषित व चिन्हित करने के लिए एक नयी समिति गठित की जाए। इस समिति में राज्यों व अन्य भागीदारों से प्रतिनिधि लिए जाएं।’ उल्लेखनीय है कि नीति आयोग की संचालन परिषद की पहली बैठक फरवरी 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई थी। बैठक में यह कार्यबल गठित करने का फैसला किया गया। इसके अगले महीने कार्यबल का गठन हुआ और शुरू में इसे अपनी रपट 30 जून 2015 तक दाखिल करनी थी।
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि कार्यबल को गरीबी रेखा तय करने का काम नहीं दिया गया था। इसके कार्यक्षेत्र में गरीबी के लिए परिभाषा पर काम करना तथा केंद्रीय मंत्रालयों व राज्य सरकार के कार्यबलों में समन्वय करना था। अधिकारी के अनुसार कार्यबल का काम गरीबी उन्मूलन के लिए रूपरेखा तैयार करना तथा रणनीति व गरीबी गरीबी-रोधक कार्य्रकम सुझाना था।
अधिकारी ने बताया कि अब इसने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को सुझाव दिया है कि एक नयी समिति गठित की जाए जो कि बीपीएल जनसंख्या को परिभाषित करने के लिए परिभाषा पर काम करेगी।’ कार्यबल को पीएमओ से जवाब का इंतजार है।
उल्लेखनीय है कि गरीबी रेखा को लेकर काफी विवाद हो चुका है। तेंदुलकर समिति ने गरीबी रेखा को लेकर जो दायरा सुझाया था उस पर खूब विवाद हुआ जिसके बाद पूर्ववर्ती सरकार ने रंगराजन समिति गठित की थी जिसने समिति ने गा्रमीण व शहरी गरीबी सीमा के लिए ‘ अपेक्षाकृत उंचे स्तर’ की सिफारश की थी।