रियो डि जिनेरियो: चार साल के प्रतिबंध और ओलंपिक खेल गांव से बाहर किए जाने से अपमानित महसूस कर रहे पहलवान नरसिंह यादव अब डोप विवाद की लड़ाई को पीएमओ तक ले जाएगें. पहलवान नरसिंह ने कहा कि उनका नाम तो बदनाम हुआ ही, इससे पूरे देश पर भी काला धब्बा लग गया. वे इसकी जांच करवाएगें चाहे इसके लिए जान ही क्यों ना देनी पड़े.
नरसिंह यादव ने कहा कि वे प्रधानमंत्री से अपील करेगें कि इसकी विस्तृत जांच कराई जाए और सच सामने आना चाहिए चाहे इसके लिए सीबीआई का सामना ही करना पड़े. नरसिंह ने कहा कि अगर वे दोषी पाया जाते हैं तो उन्हें फांसी पर चढ़ा दिया जाय, जांच एजेंसी उनका नार्को टेस्ट कराए और इससे विवाद से जुड़े लोगों का भी. नरसिंह ने दावा किया था कि सोनीपत में खेलों से पूर्व ट्रेनिंग के दौरान अज्ञात लोगों ने उनके पेय पदार्थ या भोजन में प्रतिबंधित पदार्थ मिलाए थे. राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी ने इस दावे को स्वीकार किया था और उन्हें डोपिंग के आरोपों से मुक्त करते हुए खेलों में हिस्सा लेने की इजाजत दी थी.
रियो ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने का नरसिंह का सपना उस समय टूट गया जब डोप टेस्ट में विफल होने के बाद उन्हें मिली नाडा की क्लीनचिट को वाडा ने खेल पंचाट में चुनौती दी और खेल पंचाट ने सुनवाई के बाद उन पर चार साल का प्रतिबंध लगा दिया. नरसिंह को ओलंपिक खेल गांव से बाहर कर दिया गया क्योंकि प्रतिबंध का मतलब है कि उनका मान्यता कार्ड और प्रवेश रद्द कर दिया गया है। उन्हें एक होटल में रखा गया है, जहां से वह दिल्ली के लिए रवाना होंगे।
पहलवान नरसिंह यादव ने इसे खेल में देश के भविष्य का सवाल बताया. 74 किग्रा वर्ग फ्री स्टाइल के इस पहलवान ने कहा कि वो साजिश का शिकार बने हैं, ओलंपिक पदक जीतने के लिए उनकी चार साल की मेहनत बेकार गई. नरसिंह के मुताबिक इस तरह की राजनीति ओलंपिक में देश की पदक की संभावनाओं पर बुरा असर डालती है. बिना किसी का नाम लिए नरसिंह ने कहा कि जो कुछ भी हुआ उससे साफ है कि इससे कौन लोग जुड़े थे.