नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नवरात्र के मौके पर आज से उपवास पर हैं. नवरात्रि के दौरान वो हमेशा ऐसा करते हैं. चाहे इस दरमयान चुनाव प्रचार के लिए ही दौड़भाग क्यूँ न करनी हो ! बतौर प्रधानमंत्री यह लगातार तीसरा साल है, जब मोदी नवरात्रि के समय उपवास पर हैं.
प्रधानमंत्री के तौर पर वर्ष 2014 के सितंबर महीने में जब नरेंद्र मोदी अमेरिका गये हुए थे और वहां के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने उन्हें आधिकारिक डिनर पर बुलाया था, तब भी मोदी ने सिर्फ पानी ही पिया था .
नवरात्र के मौके पर नरेंद्र मोदी के उपवास का ये सिलसिला चार दशक से भी अधिक पुराना है. मोदी जी ने यह शुरुआत तब की थी जब वे मेहसाणा जिले के अपने कस्बे वडनगर से निकलकर अहमदाबाद आए थे. वह 1969-70 का दौर था . मोदी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्कालीन प्रांत प्रचारक लक्ष्मणराव इनामदार उर्फ वकील साहब के संपर्क में आए, जिनसे बचपन में वो बाल स्वयंसेवक के तौर पर वडनगर में मिल चुके थे.
वकील साहब को उपवास करने की बड़ी आदत थी. हर महत्वपूर्ण त्यौहार या धार्मिक अवसर पर वकील साहब का उपवास जारी रहता था. ऐसे अवसर बहुतेरे आते थे जब वकील साहब हफ्ते में दो-तीन दिन लगातार उपवास करते रहते थे. यही देखकर मोदी भी प्रेरित हुए और नवरात्रि के मौके पर सभी नौ दिनों के उपवास की ठान ली. तब से मोदी लगातार नवरात्रि के मौके पर पूरी तरह अन्न का त्यागकर सिर्फ गुनगुना पानी पीते हैं. चार दशक से भी अधिक लंबे इस सिलसिले के दौरान मोदी संघ के सामान्य प्रचारक से लेकर गुजरात बीजेपी संगठन महामंत्री, राष्ट्रीय संगठन महामंत्री और गुजरात के मुख्यमंत्री होते हुए देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठ चुके हैं, लेकिन नवरात्रि के मौके पर उपवास का सिलसिला यथावत है.
इस बार तो नवरात्रि दस दिनों की है. कारण ये है कि दो दिनों तक द्वितीया है. 18 साल बाद ऐसा मौका आया है कि नवरात्रि नौ दिनों की जगह दस दिनों की हो गई है. ऐसे मे मोदी का उपवास भी दस दिनों तक खींच जाएगा.
वैसे भी हर साल मोदी 18 दिन तो उपवास पर होते ही हैं. वे साल के दोनों नवरात्र वो करते हैं, चैत्र नवरात्र और अश्विन नवरात्र. चैत्र का महीना तो भयावह गर्मी का होता है. वर्ष 2011 में जब मोदी चैत्र नवरात्र का उपवास कर रहे थे, उस समय कई राज्यों में चुनाव हो रहे थे. मोदी प्रचार के लिए जा रहे थे. ऐसा कई बार हुआ, जब नवरात्रि के दौरान ही चुनाव हुए, चाहे गुजरात में या फिर देश के दूसरे हिस्सों में, मोदी उपवास करते हुए प्रचार के लिए गये.
आम तौर पर मोदी अपने उपवास की चर्चा सार्जनिक तौर पर करने से परहेज बरतते हैं, लेकिन एक मौका 2011 में आया था, जब मोदी ने अपने उपवास की चर्चा की थी. उस वक्त गांधीवादी समाजसेवी अन्ना हजारे लोकपाल की मांग को लेकर दिल्ली में उपवास पर बैठे थे. अप्रैल का महीना और चैत्र नवरात्र का समय था. 11 अप्रैल को मोदी ने अन्ना को एक चिट्ठी लिखी, जिसमें इस बात का जिक्र किया कि जिस तरह अन्ना उपवास कर रहे हैं, उसी तरह वो भी फिलहाल उपवास पर हैं. उस पत्र में मोदी ने कहा था कि नवरात्र शक्ति की उपासना का सबसे बड़ा प्रतीक है और ऐसे में वो मां जगदंबा की आराधना में जुटे हुए हैं, उपवास के साथ.
मोदी शक्ति पूजक हैं और यही कारण है कि मां दुर्गा की आराधना वो लंबे समय से करते आए हैं. समय-समय पर तमाम शक्तिपीठों पर वो जाते भी हैं. मोदी के दाहिने हाथ की कलाई पर काले रंग के धागों का एक गुच्छा हमेशा बंधा होता है. बहुत कम लोगों को ये पता है कि ये भी उनकी शक्ति आऱाधना की आदत का सबूत है. दरअसल मोदी काले धागों को मां दुर्गा के आगे रखकर नवरात्र के दौरान पूजा करते हैं और फिर प्रसाद के तौर पर अपनी कलाइयों में बांध लेते हैं. मोदी की ये आदत भी उतनी ही पुरानी है, जितना कि नवरात्र के मौके पर उपवास करने का सिलसिला.
दरअसल मोदी की नवरात्र के समय उपवास करने की आदत इतनी पुरानी हो चुकी है कि उनके शरीर पर इसका कुछ खास असर नहीं दिखता. रोजाना का काम वैसे ही करते हैं, जैसे नवरात्र के पहले या बाद में. नवरात्र के बाद विजयादशमी को मोदी शस्त्र पूजा भी करते हैं. बतौर गुजरात के मुख्यमंत्री, 2001 से 2014 के बीच हर विजयादशमी पर अपने सुरक्षाकर्मियों के साथ बैठकर मोदी शस्त्रपूजा किया करते थे और इसके सार्वजनिक प्रदर्शन में उन्हें कोई झिझक भी नहीं होती थी. वैसे भी शस्त्रों के प्रति उनका प्रेम काफी पहले से है. 1989 में जब मोदी कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर गये थे, तो उन्होंने हाथ में राइफल रखकर अपनी फोटो खिंचाई थी, जो उनकी दुर्लभ तस्वीरों में से एक है. वैसे भी इस बार नवरात्रि के पहले पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक कर आतंकियों को मार देने वाले ऑपरेशन की पूरी मॉनिटरिंग कर मोदी ने साबित कर दिया है कि सिर्फ वो शक्ति और शस्त्र की आराधना ही नहीं करते, जरूरत पड़ने पर उसके इस्तेमाल से भी परहेज नहीं है उन्हें. उरी आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक की अनुमति और उसकी सफलता से मोदी ने ये साबित भी किया है.