नई दिल्ली : केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री एम वैंकया नायडू ने फिल्मों में हिंसा और अश्लीलता पर चिंता जाहिर की. उन्होंने फिल्म निर्माताओं से शांति और विकास से जुड़ी कहानियों पर काम करने को कहा.
साउथ इंडियन फिल्म चेंबर आफ कामर्स की तरफ से आयोजित कार्यक्रम में वैकया नायडू ने कहा कि पुराने जमाने की फिल्मों में जहां गीत, संगीत और साहित्य शानदार और सुंदर हुआ करते थे, लेकिन अब धीरे-धीरे उनका स्तर गिरता जा रहा है.
उन्होंने कहा कि जो धीरे-धीरे हो रहा है. कुछ मामलों में, हिंसा, अश्लीलता, अभद्रता और दो अर्थो के संवाद ये अब सिनेमा के चुनिंदा वर्गों का हिस्सा बन रहे हैं, यह अच्छी बात नहीं है. सब को सेंसर नहीं किया जा सकता, आपके पास खुद सेंसर लगाने का अधिकार होना चाहिये क्योंकि आप ऐसे दृश्य दिखाकर समाज के साथ अन्याय कर रहे हैं और बच्चे बरबाद कर रहे हैं. श्रोताओं में चार तमिल भाषाओं, तमिल, तेलुगू, मलयालम और कन्नड़, के कुछ शीर्ष निर्माता भी थे.
नायडू ने कहा कि समस्या, अपराध, हिंसा, अश्लीलता, अभद्रता पर केन्द्रित फार्मूला आधारित निर्माण में है और यह ‘माहौल को बिगाड़’ रहा है. उन्होंने कहा कि दृश्यों का हमारे दिमाग एवं सोच पर सर्वाधिक गहरा असर पड़ता है. मैं फिल्म उद्योग के लोगों को कोई शिख नहीं देता चाहता लेकिन एक , मंत्री होन के नाते नहीं, बल्कि एक नागरिक होने के नाते उम्मीद करता हूं कि फिल्म जगत अधिक जिम्मेदार बनेगा. मंत्री ने कहा कि फिल्म और मीडिया का संदेश ऐसा हो जो देश को विकास के रास्ते पर ले जाए. उन्होंने बोलने की आजादी पर कहा कि इसमें नियंत्रण’ जरूरी है क्योंकि आप अन्य के खिलाफ नफरत नहीं फैला सकते. आप ईश्वर का अनादर और लोगों की आस्था का अपमान नहीं कर सकते. इसलिए कुछ नियंत्रण जरूरी है और इसलिए प्रमाणन की जरूरत होती है.