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यूनिफार्म सिविल कोड विरोध में आए मुस्लिम संगठन ! – Rajpath News
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यूनिफार्म सिविल कोड विरोध में आए मुस्लिम संगठन !

by desk
14 October, 2016
in भारत
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नई दिल्ली : यूनिफार्म सिविल कोड के खिलाफ मुस्लिम संगठन खुल कर सामने आ गए हैं. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड समेत कई संगठनों ने आज एलान किया कि वो लॉ कमीशन की तरफ से पूछे गए सवालों का बहिष्कार करेंगे. हालांकि, इस सिलसिले में बुलाई गई प्रेस कांफ्रेंस में तीन तलाक और मर्दों को चार शादी की इजाज़त पर सवालों को लगभग अनसुना कर दिया गया.
प्रेस कांफ्रेंस में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के जेनरल सेक्रेटरी मौलाना वली रहमानी के तेवर इतने तल्ख थे कि भाषा का संयम भी खोते नज़र आए. जब उनसे पूछा गया कि क्या आप सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं तो जवाब था कि दबाव कहिए, मोहब्बत या लात-घूंसा, जो सही है कर रहे हैं.
दरअसल, लॉ कमीशन ने यूनिफार्म सिविल कोड पर लोगों की राय जानने के लिए 16 सवाल पूछे हैं. लॉ कमीशन से केंद्र सरकार ने इस बारे में रिपोर्ट मांगी है. खुद केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट में इस मसले पर जवाब देना है. यानी सुप्रीम कोर्ट का सवाल सरकार से, सरकार का सवाल लॉ कमीशन से और लॉ कमीशन का सवाल जनता से. इन्हीं सवालों ने मुस्लिम संगठनों को नाराज़ कर दिया है.
बताते चलें कि लॉ कमीशन कानूनी मसलों पर सरकार को रिपोर्ट देने वाली स्वायत्त संस्था है. इसके अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज या हाई कोर्ट के रिटायर्ड चीफ जस्टिस होते हैं. आज मुस्लिम संगठनों ने लॉ कमीशन पर सरकार के अंग के तौर पर काम करने का आरोप मढ़ दिया. उन्होंने कहा कि सभी जमातें और देश के मुसलमान इस प्रक्रिया का बहिष्कार करेंगे. कोई इन सवालों का जवाब नहीं देगा.
मुस्लिम संगठनों ने संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 का हवाला दिया है. इनमें अपने धर्म और उससे जुड़ी परंपराओं को मानने की आज़ादी दी गई है. मौलाना वली रहमानी ने कहा, “हम सब लोग एक एग्रीमेंट के तहत इस देश में रह रहे हैं. ये एग्रीमेंट कंस्टीट्यूशन के तहत है. मजहब, रिवाजों को मानने की आज़ादी है. यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने का मतलब है इस एग्रीमेंट का उल्लंघन.”
गौरतलब है कि पूरी प्रेस कांफ्रेंस में तीन तलाक और मर्दों को चार शादी की इजाज़त से जुड़े सवालों को टाला गया। कहा गया कि इस बारे में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर दिया गया है. ये वही हलफनामा है जिसमें लिखा गया है कि पत्नी से छुटकारा पाने के लिए पति उसका कत्ल कर दे, इससे बेहतर है पति को तीन बार तलाक बोलने का हक देना. इसी हलफनामे में मर्दों को एक से ज़्यादा शादी की इजाज़त को औरतों के लिए फायदेमंद बताया गया है. दलील है कि बीमार पत्नी को पति छोड़ भी सकता है. ज़्यादा शादी की इजाज़त औरत को इस स्थिति से बचाती है.
प्रेस कांफ्रेंस में मौलाना वली रहमानी झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष शिबू सोरेन को 59 बीवियों वाला बता गए। सच्चाई ये है कि झारखंड के ही एक और आदिवासी नेता बागुन सुंब्रुई ने कई शादियां की हैं।
प्रेस कांफ्रेंस में नगा आदिवासियों और दूसरे आदिवासी समुदायों को दी गई विशेष छूट का भी हवाला दिया गया। मुस्लिम संगठनों ने कहा है कि वो भी सवालों की एक फेहरिस्त जारी करेंगे, जिसका करोड़ों लोग जवाब देंगे। इन जवाबों को सरकार तक पहुंचाया जाएगा।
हालांकि, इतने सवालों के बीच ये सवाल कायम है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, जमीयत उलेमा ए हिंद, जमात ए इस्लामी, इत्तेहाद ए मिल्लत और दारुल उलूम जैसे संगठन सभी मुसलमानों की राय रखने का दावा कैसे कर सकते हैं। वो ये कैसे कह सकते हैं कि देश का कोई मुसलमान लॉ कमीशन के सवालों का जवाब नहीं देगा।

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