राजपथ डेस्क : महागठबंधन में सीटों का बंटवारा हो गया है, लेकिन महागठबंधन का हिस्सा रहे मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी को एक भी सीट नहीं मिली। जबकि आश्वासन दिया गया था कि राजद अपने कोटे से वीआईपी को सीटें देगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और वीआईपी महागठबंधन से बाहर हो गई।
इस पर वीआईपी पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी ने कहा कि हमारे साथ जो हो रहा है वो सही नहीं है। मैं इस गठबंधन से बाहर जा रहा हूं। विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) प्रमुख मुकेश सहनी का सीट बंटवारे के मौके पर महागठबंधन से अलग होना वोटों के गणित को कुछ न कुछ तो प्रभावित करेगा ही। हालांकि इसका सटीक आकलन करना अभी उचित नहीं होगा, क्योंकि चुनावी मैदान में मुकेश सहनी की परीक्षा होनी बाकी है।
राज्य के राजनीतिक सफर में मुकेश सहनी 2014 के लोकसभा चुनाव से उभरे हैं। और इसके बाद ही वीआईपी पार्टी बनाई थी। सहनी की पार्टी महागठबंधन के साथ 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ी थी। इस चुनाव नें मुकेश सहनी खगड़िया लोकसभा क्षेत्र से लड़े थे, लेकिन उन्हें वहां निराशा ही हाथ लगी थी।
ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य को देखा जाए तो उनकी वीआईपी पार्टी सिमरी-बख्तियारपुर उप चुनाव को छोड़कर कभी अकेले चुनाव नहीं लड़ी है। इस सीट के लिए उनकी पार्टी से दिनेश निषाद उम्मीदवार थे, जो तीसरे स्थान पर थे और उन्हें 25,225 वोट मिले।
वहीं 2019 लोकसभा चुनाव में वीआईपी पार्टी खगड़िया संसदीय सीट के हसनपुर, अलौली, सिमरी-बख्तियारपुर, खगड़िया, परबत्ता और बेलदौर में सभी जगह लगभग 40 हजार से अधिक वोटों से पिछड़ गए थे। इसके साथ ही मधुबनी और मुजफ्फरपुर में भी उनकी पार्टी कोई खास असर नहीं डाल पाई थी।
लोकसभा चुनाव में मुकेश सहनी को सिमरी-बख्तियारपुर में जितने वोट मिले थे, उसका आधा वोट उप चुनाव में उनके प्रत्याशी को मिले थे। जबकि वीआईपी पार्टी जिन सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ी थी, वहां सहनी जाति के वोटों की संख्या ठीक-ठाक है। इसके अलावा मधुबनी में भी उनकी पार्टी कोई खास करामात नहीं कर सकी।
2019 लोकसभा चुनाव में मुकेश सहनी की वीआईपी पार्टी को 1.65% वोट ही मिले थे। हालांकि यह वोटिंग प्रतिशत 18 विधानसभा क्षेत्रों का ही दिया गया है।