नई दिल्ली : न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (एनएसजी) में भारत की सदस्यता का विरोध कर रहे चीन को अपने पक्ष में वोटिंग कराने का जिम्मा अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद उठाया है। उम्मीद की जा रही है कि इसी महीने ताशकंद में होने वाली बैठक में मोदी चीन के प्रेसिडेंट शी जिनपिंग से मुलाकात कर सकते हैं।
प्राप्त खबरों के अनुसार अभी तक चीन एनएसजी मामले में भारत की सदस्यता के खिलाफ है। अमरीका के पूरे समर्थन के बावजूद विएना बैठक बेनतीजा रही। ऐसे में 24 जून को एनएसजी की सिओल में होने वाली बैठक में भारत की सदस्यता पर फैसला होना है। यदि चीन उस समय भी विरोध कर देता है तो भारत को सदस्यता नहीं मिल पायेगी। ऐसे में यह जरुरी हो गया है कि चीन भारत के पक्ष में वोटिंग करे।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने भी पिछले दिनों चीन की यात्रा के दौरान भारत के साथ संबंधों को मधुर करने के संबंध में बातचीत की थी। खुद चीनी विदेश मंत्रालय कह चुका है कि वह भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मधुर करना चाहता है। भारत ने भी चीन को मनाने लिए चीनी विद्वानों को कांफ्रेंस वीजा पर आना आसान कर दिया है। साथ भारत और अमेरिका के संयुक्त बयान में भी साउथ चाइना सी के मामले पर चुप्पी रखी गई थी।
माना जा रहा है कि चीन के विरोध के पीछे सबसे बड़ी वजह अमरीका है। भारत के साथ अमरीकी संबंधों में आ रही सुदृढ़ता को लेकर चीन बौखलाया हुआ है। इसके साथ ही चीन का कहना है कि बिना परमाणु अप्रसार संधि पर साइन किए भारत एनएसजी का मेंबर नहीं बन सकता। न्यूजीलैंड, साउथ अफ्रीका, आयरलैंड, तुर्की और ऑस्ट्रेलिया का विरोध भी इसी वजह से हो रहा है।