नई दिल्ली : देश में शिक्षा का हाल इस कदर बेहाल है कि देश के लाखों स्कूल मात्र एक शिक्षक के सहारे चल रहे हैं. हाल ही में संसद में मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने शिक्षकों को लेकर एक रिपोर्ट रखी गई है. जिसमें ये खुलासा हुआ है.
इस रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश के 17 हज़ार 874, उत्तर प्रदेश के 17 हज़ार 602, राजस्थान के 13 हज़ार, आंध्र प्रदेश के 9 हज़ार 540, झारखंड के 7 हज़ार 391 और बिहार के 3 हज़ार 708 स्कूलों में केवल एक टीचर हैं. यही हाल पूर्वी राज्यों का भी है. अंडमान निकोबार में 16, त्रिपुरा में 45, दादर नगर हवेली में 49 और मिजोरम में 73 स्कूल ऐसे हैं जहां केवल एक टीचर है.
देखा जाये तो केंद्र शासित प्रदेशों में हालात कुछ सही है. चंडीगढ़, दमन और दीव, लक्षद्वीप और पुदुचेरी में ऐसा कोई भी स्कूल नहीं है जो केवल एक टीचर से चल रहा हो, वहीं दिल्ली में ऐसे स्कूलों की संख्या 13 है जहां सिर्फ एक टीचर है.
पहाड़ी राज्यों में पहले स्थान पर उत्तराखण्ड है, जहां 1771 स्कूल ऐसे हैं जहां केवल एक टीचर है, वहीं, हिमाचल प्रदेश में 1119, जम्मू कश्मीर में 1430, पंजाब में 1360, हरियाणा में 888 और गुजरात में 778 ऐसे स्कूल है जहां एक टीचर है.
बताते चलें कि शिक्षा के अधिकार (आरटीई) के तहत बनाई गई गाइडलाइंस के मुताबिक हर 30 से 35 छात्रों पर एक टीचर का होना जरूरी है. जबकि भारत के 7 लाख 60 हज़ार प्राइमरी स्कूलों में से करीब आधे यानी 3 लाख 19 हज़ार प्राइमरी स्कूल ऐसे हैं जहां बच्चों को पढ़ाने के लिए सिर्फ 2 टीचर हैं.