नई दिल्ली : हुर्रियत कान्फ्रेंस के विभिन्न धड़े राजनीतिक रूप से प्रासंगिक होने और अपने आथिक हितों की रक्षा के लिए सैनिक कालोनियों और पंडितों के पुनर्वास के खिलाफ एक संयुक्त मोर्चा बनाने का प्रयास कर रहे हैं।
आर्गेनाइजर में प्रकाशित एक आवरण लेख में लोकतांत्रिक एवं राष्ट्रवादी ताकतों से आह्वान किया गया है कि राज्य में शांति एवं विकास की प्रक्रिया बरकरार रखने के लिए ऐसी ताकतों से निपटने की चुनौती सामूहिक रूप से उठाएं।
अलगाववादियों के कदम के संदर्भ में लेख में कहा गया है कि राज्य में पीडीपी-भाजपा नीत सरकार ‘लोगों के समक्ष असली तस्वीर पेश किए बिना इनकार करने के अंदाज में है।’ लेख में सैनिक कालोनियों की मांग का समर्थन करते हुए कहा गया है कि ‘अलगाववादी यह दावा करके कि इससे राज्य का जनसंख्या स्वरूप बदल जाएगा, इसे एक मुद्दा बनाकर भावनात्मक चाल चलना चाहते हैं।’ इसमें लिखा गया है कि अलगाववादी भावनात्मक चाल चल रहे हैं। यह कश्मीर को परेशानी वाली जगह के तौर पर पेश करने का अलगाववादियों का एजेंडा है। कश्मीर को अशांत स्थान के तौर पर पेश करके ये अलगाववादी लोगों की भावनाओं का लाभ उठाकर पैसे जुटाने का अपना काम जारी रख सकते हैं। इसके साथ ही राज्य सरकार हमेशा की तरह लोगों के समक्ष असली तस्वीर पेश किए बिना इनकार के अंदाज में है।
इसमें कहा गया कि ये अलगाववादी प्रत्येक मुद्दे को राज्य के विशेष दर्जे के साथ जोड़ने के लिए प्रत्येक मौके का इस्तेमाल करते हैं जिससे वे लोगों की भावनाओं का लाभ उठा सकें। विस्तार में जाये बिना ये समूह सैनिक कालोनी स्थापना को इस तरह से पेश कर रहे हैं जैसे इससे राज्य की जनसंख्या स्थिति ही बदल जाएगी।