जम्मू : जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कश्मीर विवाद के लिए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के अपनाए रुख को एकमात्र रास्ता बताते हुए दावा किया कि यदि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के तहत इस विवाद का हल नहीं हुआ तो, यह कभी नहीं सुलझेगा। उन्होंने कहा कि यदि यदि यह मुद्दा अभी नहीं सुलझता है तो कभी नहीं सुलझेगा ।
उन्होंने रविवार शाम यहां एक कार्यक्रम में कहा कि वाजपेयी सिद्धांत के अलावा कोई और विकल्प नहीं है। यदि हम इस संकट और हिंसा के चक्र से कश्मीर को निकालना चाहते हैं तो हमें इसका पालन करना होगा और उन्हें (पाकिस्तान को) भी इसका पालन करना होगा। महबूबा ने दावा किया कि यह एकमात्र मौका है जब लोगों को विवाद का हल करना है और यदि मोदी के तहत इसका हल नहीं हुआ तो कभी नहीं हो पाएगा। उन्होंने कहा कि मैंने कल भी कहा था कि यदि मोदी के शासनकाल के दौरान हमारा देश और पाकिस्तान एवं जम्मू कश्मीर के लोगों ने इस मुद्दे का हल नहीं किया तो इस मुद्दे का कभी हल नहीं होगा। आपको रोज-रोज ऐसा शक्तिशाली नेता नहीं मिलेगा जो फैसला ले सकता हो। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार को अभी बमुश्किल तीन महीने हुए थे जब बुरहान वानी के मारे जाने के बाद कश्मीर में हिंसा का मौजूदा चक्र शुरू हो गया।
महबूबा ने कहा कि हमारी सरकार की क्या गलती थी जब इसके आने के महज तीन महीने के अंदर ही एक मुठभेड़ हो गई और ऐसी स्थिति पैदा हो गई तथा इतना रक्तपात और हिंसा शुरू हो गई। उन्होंने कहा कि किसी न किसी बहाने उनकी सरकार के खिलाफ अफवाहें फैली लेकिन यह साफ कर दिया गया कि राज्य का भारत के दिल में एक विशेष जगह है। महबूबा ने कहा कि जो बच्चे मारे गये या घायल हुए उनके माता पिता से पूछा जाना चाहिए कि वे किस तरह की आजादी चाहते हैं। उन्होंने कहा कि मैं नहीं जानती कि लोग आजादी किसे कहते हैं, यदि आजादी ऐसे तरीके से पानी है जिसमें छोटे बच्चे अपनी आंखों की रोशनी गंवा दे तो उनके माता पिता से अवश्य पूछा जाना चाहिए कि क्या वे इस तरह की काल्पनिक आजादी के लिए ऐसी कुर्बानी देने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि जब हिंसा होती है तो सारी आजादी खो जाती है।
मुख्यमंत्री ने आज कहा कि कश्मीर के हालात आज ऐसे हैं कि वे अपनी दुकानें खोल पाने में सक्षम नहीं हैं और कर्मचारी कार्यालय जाने में सक्षम नहीं हैं और उन्हें पुलिस या सुरक्षा बलों से डर नहीं है बल्कि वे अपने उपर हमला करने वाले छोटे बच्चों को लेकर भयभीत हैं। 10 साल का एक बच्चा नहीं जानता कि राजनीति क्या है, कश्मीर मुद्दा क्या है, उसकी पीछे कौन सी ताकतें हैं। उनका इस्तेमाल सुरक्षा बलों के शिविरों और थानों पर हमले के लिए किया जा रहा।