नई दिल्ली : सरकार ने मंगलवार को कहा कि पिछले दो साल के दौरान मोदी सरकार में रक्षा खरीद में भ्रष्टाचार का कोई मामला सामने नहीं आया है। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने राज्यसभा को यह भी बताया कि नई रक्षा खरीद प्रक्रिया (डीपीपी) में उच्च स्तरीय शुचिता, लोक जवाबदेही, पारदर्शिता, ईमानदारीपूर्वक प्रक्रिया का समापन आदि सुनिश्चित करने के लिए प्रावधान किए गए हैं।
उन्होंने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि पिछले दो साल के दौरान रक्षा खरीद में भ्रष्टाचार का कोई मामला सामने नहीं आया है। डीपीपी में 20 करोड़ रुपये और उससे अधिक की सभी पूंजीगत खरीद या योजनाओं के लिए सरकार और बोली लगाने वालों के बीच सत्यनिष्ठा संबंधी करार के हस्ताक्षर का प्रावधान है। पूर्व में ऐसे समझौतों की जरूरत उन मामलों में ही होती थी जिनमें 100 करोड़ रुपये या अधिक की खरीद होती थी।
पर्रिकर ने कहा कि डीपीपी 2016 में यह प्रस्ताव है कि विदेशी विक्रेता को वैश्विक या क्षेत्रीय व्यवस्था के हिस्से के तौर पर या विशिष्ट आधार पर ऐसी किसी भी व्यक्ति, पक्ष, कंपनी या संस्थान के पूरे ब्यौरे का खुलासा करना होगा जिसे उसने भारत में या उसके अपने देश में अपने उपकरण की मार्केटिंग के लिए शामिल किया है। इसमें एजेंटों की नियुक्ति के लिए शर्तों का भी उल्लेख है।