मुंबई : महाराष्ट्र में विपक्षी दलों ने सोमवार को वरिष्ठ नेताओं राधाकृष्ण विखे-पाटील और जयदत्त क्षीरसागर को मंत्री पद देने पर सवाल उठाया, जो विधानमंडल के किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं।
मानसून सत्र के पहले दिन विधानसभा में मुद्दे को उठाते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के वरिष्ठ नेता व पूर्व उप मुख्यमंत्री अजीत पवार ने कहा, विधानमंडल के किसी भी सदन का सदस्य नहीं होने के बावजूद उन्हें मंत्री के तौर पर कैसे शामिल किया जा सकता है।
विखे-पाटील ने हाल में कांग्रेस से और अहमदनगर के विधायक पद से इस्तीफा दिया है और क्षीरसागर ने शिवसेना छोड़ी है और बीड के विधायक पद से इस्तीफा दिया है।
दोनों भाजपा में शामिल हुए हैं और राज्यपाल सी.वी.राव द्वारा रविवार को उन्हें मंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई।
इन दोनों के मंत्री के रूप में शामिल होने को सही ठहराते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि यह बिल्कुल संवैधानिक तरीके से किया गया है और इसमें कुछ गलत नहीं है।
उन्होंने कहा, कोई भी सदन का सदस्य रहे बगैर छह महीने तक मंत्री रहने के योग्य है।
विखे-पाटील को महत्वपूर्ण आवास मंत्रालय आवंटित किया गया है, जबकि क्षीरसागर को रोजगार गारंटी और बागवानी विभाग सौंपा गया है। राज्य में करीब चार महीने बाद चुनाव होने हैं।
सत्ता पक्ष ने पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे के उदाहरण का हवाला दिया। इस पर पवार ने पलटवार किया कि राणे ने पहले शिवसेना विधायक के रूप में इस्तीफा दिया था और तत्कालीन डेमोक्रेटिक फ्रंट सरकार में मंत्री के रूप में शामिल होने से पहले कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था और जीता था।