नई दिल्ली : जस्टिस लोढ़ा समिति की सिफारिशें के अनुसार बीसीसीआई और उसकी मान्य ईकाइयों में सुधार लागू करने को लेकर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. सुधारों पर टालमटोल कर रहे क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के वित्तीय अधिकार सुप्रीम कोर्ट ने कम कर दिए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बीसीसीआई के कॉन्ट्रेक्ट अब लोढ़ा कमिटी की निगरानी में जारी होंगे.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक एक तय रकम से ऊपर के सभी कॉन्ट्रेक्ट-टेंडर जस्टिस लोढ़ा कमिटी की मंजूरी से ही जारी किये जा सकेंगे. बीसीसीआई किस सीमा तक के कॉन्ट्रेक्ट खुद जारी कर सकती है, ये लोढ़ा कमिटी ही तय करेगी. गौरतलब है कि बीसीसीआई के कामकाज में सुधार के लिए रिटायर्ड चीफ जस्टिस आर एम लोढ़ा की अध्यक्षता में कमिटी का गठन सुप्रीम कोर्ट ने ही किया था. कोर्ट इस साल 18 जुलाई को कमिटी की सभी सिफारिशों को लागू करने का आदेश दे चुका है. कमिटी ने शिकायत की थी कि बीसीसीआई के अधिकारी सुधारों को लागू करने में अड़चन डाल रहे हैं. इसी वजह से मौजूद सुनवाई चल रही है.
सुप्रीम कोर्ट ने आज एक बार फिर ये कहा कि ‘जो राज्य क्रिकेट एसोसिएशन सिफारिशों को लागू करने में बाधा डाल रहे हैं, बीसीसीआई उन्हें एक पैसे का भी फंड न दे. जो राज्य एसोसिएशन इस साल फंड पा चुके हैं, वो ये हलफनामा दें कि वो सिफारिशों को लेकर सहमत हैं. उनके हलफनामे को कोर्ट की मंजूरी मिलने के बाद ही वो फंड का इस्तेमाल कर सकेंगे.’
कोर्ट ने लोढ़ा कमिटी को बीसीसीआई में ऑडिटर की नियुक्ति करने को कहा है. ये ऑडिटर बीसीसीआई की तरफ से खर्च किए जा रहे पैसों की निगरानी कर कमिटी को रिपोर्ट देगा.
सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर से भी 2 हफ्ते में हलफनामा देकर ये बताने को कहा है कि सिफारिशें कब तक और किस तरह लागू की जाएंगी. अध्यक्ष अनुराग ठाकुर लोढ़ा कमिटी के सामने व्यक्तिगत रूप से जाकर सिफारिशों को लागू करने के लिए उठाए जा रहे कदमों की जानकारी देंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई सचिव आईसीसी अध्यक्ष शशांक मनोहर को कोर्ट के आदेशों की आधिकारिक जानकारी देने को कहा है. इस पूरे मामले में अब अगली सुनवाई 5 दिसंबर को होगी.