जैसे जैसे राष्ट्रपति चुनाव नजदीक आ रहा है, वैसे वैसे ही सत्ता पक्ष और विपक्ष एक दूसरे को पटखनी देने के लिए अपनी बंद मुठठी खोलने से पहले दूसरे की मुटठी खोलने का इंतजार कर रहे हैं । शिवसेना ने कृषि वैज्ञानिक स्वामीनाथन का नाम आगे कर, मोदी और शाह के वार से लथपथ विपक्ष में कम से कम ये उम्मीद तो जगा ही दी है, कि चुनाव एक तरफा नहीं होने वाला है, क्योंकि अगर शिवसेना के उम्मीदवार को विपक्षी पार्टी का समर्थन मिल जाए तो अगला राष्ट्रपति का फैसला तो मतपेटी में पड़े आखिरी वोट के साथ ही होगा यानि की 20 जुलाई को । शायद यही वजह है कि अक्सर विपक्षी पार्टी को हाशिए पर खड़ी मानकर रणनीति बनाने वाले भाजपा के नेता, । भले दिखावे के लिए ही सही विपक्षी दलों के नेता से मिलते दिख रहे हैं और उनका मन टटोलने की कोशिश कर रहे क्योंकि अमित शाह औार मोदी की जोड़ी किसी भी सूरत में नही चाहेगें कि राष्ट्रपति चुनाव में या उसके बाद विपक्ष एक मंच पर खड़े होकर भाजपा से जोर आजमाईश करें ऐसे में सूत्रों की मानें तो लालकृष्ण आडवानी को ही भाजपा आलाकमान अपना उम्मीदवार बनाएगा । इसके पीछे यह तर्क है कि लालकृष्ण आडवानी के समर्थन में विपक्षी पार्टी के इक्के नीतिश की रजामंदी है और भाजपा नहीं चाहती कि नीतिश किसी भी सूरत में फिलहाल कांग्रेस और सपा के साथ मिलकर मिशन 2019 का खेल बिगाड़ें ।