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LGBTQ+ के अधिकारों के लिए लड़ने वाली ट्रांस कार्यकर्ता समीरा एम जहांगीरदार

LGBTQ+ के अधिकारों के लिए लड़ने वाली ट्रांस कार्यकर्ता समीरा एम जहांगीरदार

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Home ट्रांस-कार्नर

LGBTQ+ के अधिकारों के लिए लड़ने वाली ट्रांस कार्यकर्ता समीरा एम जहांगीरदार

by Rajpath News
4 July, 2021
in ट्रांस-कार्नर, भारत
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LGBTQ+ के अधिकारों के लिए लड़ने वाली ट्रांस कार्यकर्ता समीरा एम जहांगीरदार
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रचना प्रियदर्शिनीः महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट में क्रिटिकल केयर मेडीसिन विभाग में एक सहायक प्रोफेसर के तौर पर कार्यरत समीरा एम जहांगीरदार एक जानी-मानी ट्रांस कार्यकर्ता हैं. वह चिकित्सा अध्ययन से जुड़े स्नातक पाठ्यक्रम में LGBTQIA+ समुदाय के अधिकारों और समावेशी समाज के मुद्दों को शामिल करने का समर्थन करती हैं और इसके लिए लगातार कोशिश कर रही हैं. ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए यह अपने आप में पहली ऐसी अनूठी पहल थी. फिलहाल वह लंदन में चिकित्सा संबंधी फेलोशिप कर रही हैं. समीरा का कहना है कि ”सेक्सुअलिटी से संबंधित किसी भी विषय को मेडिकल स्कूलों में नहीं पढ़ाया जाता है, इन विषयों को अलग छोड़ दिया जाता है.”

महाराष्ट्र के एक मध्यमवर्गीय मुस्लिम परिवार में जन्मीं समीरा एम जहांगीरदार की परवरिश पुणे में हुई. उन्होंने अपनी माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्कूली शिक्षा भी पुणे से ही प्राप्त की. बचपन से ही जीव-विज्ञान विषय में उनकी बेहद रुचि रही है. समीरा करीब सात-आठ साल की थी जब उन्हें यह महसूस हुआ कि वह आम लड़कों से थोड़ी अलग हैं. उन्हे लड़कियों के साथ रहने, उनकी तरह सजने-संवरने और गुड़िया आदि खेलने में मन लगता था.

स्कूली शिक्षा के दौरान क्लास के लड़के उनका मज़ाक बनाया करते थे, उन्हें धमकाते और ‘चिड़िया’ कह कर एक लड़की जैसा होने के लिए चिढ़ाया करते थे. इस वजह से समीरा के मन में बचपन से ही एक आक्रोश रहा. समय के साथ उन्होंने अपने शरीर, मन, सेक्सुअलिटी और लिंग के बारे में काफी संघर्ष किया. वह इसके बारे में जानने के लिए बहुत उत्सुक थी.

दूसरी ओर, परिवार और समाज के व्यवहार को लेकर काफी परेशान भी थीं. उनके माता पिता ने भी कभी समीरा की इस परेशानी का कारण जानने की कोशिश नहीं की. उन्हें लगता था कि समीरा अपनी परीक्षाओं को लेकर तनाव में रहा करती हैं. समीरा इन परिस्थितियों के साथ सामंजस्य नहीं बिठा पा रही थीं, वह अपना घर-परिवार छोड़ कर कहीं दूर भाग जाना चाहती थीं. एक ऐसी जगह, जहां लोग उन्हें समझ सकें. उनकी भावनाओं की कद्र कर सकें. एक वक्त तो ऐसा भी आया, जब समीरा ने आत्महत्या जैसा जघन्य कृत्य करने का निर्णय लिया.

हालांकि अंतत: उन्होंने खुद को समझाया और अपना पूरा ध्यान पढ़ाई पर केंद्रित कर लिया. आखिरकार वर्ष 2001 में उन्होंने एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी कर ली. आगे JIPMER के साथ काम करने के दौरान समीरा ने जाना कि उनके समलैंगिक आकर्षण की वजह कोइ बीमारी नहीं है, बल्कि यह पूरी तरह से प्राकृतिक है. फिर भी समीरा को अपना लिंग परिवर्तन करवाने में 13 साल लग गये. अब तक समीरा ने अपनी आधी लड़ाई ही जीती थी, बाकी आधी लड़ाई तो समाज और उसके नजरिये से है, जिसे अभी जीतना बाकी है.

अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद LGBTQ+ समुदाय का प्रतिनिधित्व करने के तरीकों में बदलाव लाने के लिए प्रयासरत समीरा ने MBBS पाठ्यक्रम में मौजूद उन खामियों को उजागर करने का निर्णय लिया, जिसकी वजह से उनलोगों को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. वर्तमान में वह पुदुचेरी के महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टिच्यूट में डिपार्टमेंट ऑफ क्रिटिकल केयर मेडिसीन में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर कार्यरत हैं.

इसके अलावा, वह भारत में सॉलिडैरिटी एंड एक्शन अगेंस्ट HIV संक्रमण (SAATHII) द्वारा शुरू किये गये प्रोजेक्ट में शामिल है, जिसे VISTAARA कहा जाता है. यह तीन क्षेत्रों में काम करता है – शिक्षा, कानून और चिकित्सा. इन तीनों क्षेत्रों में से उन्होंने दवा क्षेत्र के लिए एक चिकित्सा विशेषज्ञ के रूप में काम करना शुरू कर दिया. इस प्रोजेक्ट के तहत, समीरा ने कुछ कदम उठाए.

– LGBTQ+ समुदाय के बारे में गलत जानकारी देनेवाले चिकित्सकीय पाठ्यपुस्तकों की समीक्षा करना,
– उन पर सबूत-आधारित दवा के अनुसार सही या उचित जानकारी के बारे में सुझाव लिखना तथा
– LGBTQI+ समावेशी पाठ्यक्रम विकसित करना.

फिलहाल इस प्रोजेक्ट का तीसरा चरण चल रहा है और इस तीसरे चरण में – चिकित्सा की विभिन्न धाराओं में LGBTQI पाठ्यक्रम का निर्माण और प्रसार शामिल है. इस तरह समीरा की पहली सफलता उनकी अपनी होम यूनिवर्सिटी से जुड़ी है, जहां वह काम करती है. इस यूनिवर्सिटी के नर्सिंग कॉलेज में ट्रांसजेंडर स्वास्थ्य पर बीएससी और एमएससी नर्सिंग पाठ्यक्रम को शामिल कर लिया गया है.
पूर्व में, फोरेंसिक चिकित्सा और मनोचिकित्सा से जुड़े पाठ्यक्रमों में गंभीर गलतियां थीं, जो LGBTQI+ समुदाय और भेदभाव को बढ़ावा देती थीं. समीरा ने यूनिवर्सिटी में सहयोगी स्वास्थ्य विज्ञान टीम के साथ मिल कर LGBTQI+ को समर्पित एक समावेशी पाठ्यक्रम का निर्माण किया है.

क्रिटिकल केयर मेडिसिन समीरा का जुनून है और ट्रांसजेंडर स्वास्थ्य उनके स्वयं के जीवन के बारे में है. उन्होंने अपने जीवन के दस साल अपने लिंग की पहचान करने के साथ ही अपने शरीर को संरेखित करने में समर्पित कर दिया है. आगे समीरा का सपना देश के सभी चिकित्सा संस्थानों में LGBTQI+ के समावेशी पाठ्यक्रम को शामिल करना है, ताकि लोगों में इस समुदाय के प्रति सोच बदल सकें. साथ ही, इस समुदाय के लोगों को भी चिकित्सकीय समस्याओं का सामना न करना पड़े.

 

Tags: JIPMERLGBTQक्रिटिकल केयर मेडीसिन विभाग
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