रचना प्रियर्दशिनी : हर बार की तरह इस बार भी ओलिंपिक खेलों में कई सारे नये रिकॉर्ड बने और पुराने रिकॉर्ड टूटे. ऐसा ही एक रिकॉर्ड न्यूजीलैंड के लॉरेल हबर्ड ने भी बनाया. वह ओलिंपिक के अब तक के इतिहास की पहली ट्रांसजेंडर एथलीट हैं. उन्होंने तोक्यो ओलिंपिक में वेट लिफ्टिंग की व्यक्तिगत प्रतिस्पर्द्धा में हिस्सा लिया था. हालांकि वह निर्णायक स्तर तक नहीं पहुंच पाने के कारण पोडियम पर अपनी जगह बनाने में असफल रहीं, बावजूद इसके उन्होंने अंतरराष्ट्रीय ओलिंपिक कमिटी और जापान सरकार का आभार जताया है, जिन्होंने उन्हें यह मौका दिया.
बता दें कि वह 15 वर्षों तक खेलों से दूर रही थीं. चार वर्षों पूर्व वापसी करते हुए 43 वर्षीया हबर्ड उस उम्र में भारोत्तोलन करती नजर आयीं, जबकि उनकी उम्र के ज्यादातर खिलाड़ी भारोत्तोलन को अलविदा कह चुके हैं. उनके वर्ग में हिस्सा लेने वाले एथलीटों की तुलना में वह एक दशक बड़ी थीं। हुब्बार्ड ने कहा कि जो खेल मुझे प्रेरित करता है वह भारोत्तोलन है। यह गेम मुझे आकर्षित करता है. मैं विशेष रूप से आईओसी को आईओसी को धन्यवाद देना चाहता हूं.
गत सोमवार को +87 किलोग्राम वर्ग में हबर्ड ने 125 किलोग्राम (275 पाउंड) का वजन उठाया, लेकिन तीन प्रयासों में लिफ्टों को पूरा नहीं कर सकी, जिसकी वजह से वह प्रेतियोगिता से तो बाहर हो गयीं, लेकिन इसके बाद भी वे एक जीते हुए खिलाड़ी की तरह खुश नजर आयीं. उन्होंने कहा कि वह उस ओलिंपिक खेलों में अपनी भागीदारी से संबंधित विवाद से अनजान नहीं हैं, फिर भी उन्होंने आईओसी का धन्यवाद दिया है.
बता दें हब्बार्ड ने आठ साल पहले 35 साल की उम्र में अपना लिंग परिवर्तन करवाया था. इसके बाद उन्होंने अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के ट्रांस एथलीट्स के निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा के लिए बने नियमों और कसौटियों को पूरा किया. तब जाकर उन्हें खेलने की अनुमति मिली.