नई दिल्ली : कहा जाता है कि सिंधु के बिना हिंदू अधुरा है. लेकिन भारत के बंटवारे की वजह से सिंधु सबसे ज्यादा पाकिस्तान में बहती है. चीन से निकलने वाली सिंधु नदी की भारत में कुल लंबाई एक हजार किलोमीटर है. सिंधु दुनिया की 21 सबसे बड़ी नदियों में से एक है.
इतिहास की किताबों में आप जिस सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में पढ़े होंगे वो सभ्यता इसी सिंधु नदी के किनारे विकसित हुई थी. सिंधु को इंडस भी कहा जाता है जिसके नाम पर हमारे देश का नाम इंडिया पड़ा था.
जम्मू कश्मीर होकर पाकिस्तान में बहने वाली सिंधु नदी के आसपास आज भी करीब 30 करोड़ की आबादी बसती है. सिंधु नदी का इलाका करीब 3500 किलोमीटर में फैला है. जिसमें करीब पचास फीसदी हिस्सा पाकिस्तान में आता है. पाकिस्तान की आधी से ज्यादा आबादी इसी नदी पर निर्भर है. पीने से लेकर खेती और बिजली के लिए पाकिस्तान को सिंधु का ही सहारा है. यही वजह है कि जब कभी भारी बारिश के बाद पाकिस्तान की ये जीवन रेखा विकराल रूप लेती है तो वहां चारों तरफ तबाही का मंजर होता है.
चीन से निकलकर सिंधु नदी जम्मू कश्मीर होते हुए पाकिस्तान में जाती है और फिर कराची से आगे जाकर अरब सागर में समा जाती है. दुनिया की सबसे लंबी नदियों में से एक सिंधु नदी अब तो भारत में केवल जम्मू कश्मीर में ही बहती है. लेकिन एक जमाना था जब सिंधु गुजरात में भी बहा करती थी. बात करीब दो सौ साल पहले की है. 1819 में आए भयानक भूकंप ने नदी की धारा बदल दी और गुजरात में लखपत के किले के बगल से बहने वाली ये नदी करीब डेढ सौ किलोमीटर दूर चली गई.
गुजरात के कच्छ जिले में पड़ने वाला लखपत सिंधु नदी की वजह से तब काफी सुखी संपन्न था लेकिन नदी ने धारा बदली तो लखपत की खुशहाली अतीत का हिस्सा बनकर रह गई.
देश के बंटवारे से पहले तक गुजरात के कच्छ से पाकिस्तान के सिंध जाने के लिए लखपत अहम ठिकाना था. हिंदू धर्म में भी सिंधु नदी को काफी अहम माना गया है. वेदों में सिंधु का जिक्र है. एक जमाने में पाकिस्तान में सिंधु नदी के आसपास कई बड़े मंदिर हुआ करते थे लेकिन धीरे धीरे वो भी इतिहास का हिस्सा बनकर रह गए. कहा तो यहां तक जाता है कि सिंधु के बिना हिंदू अधूरा है.