रचना प्रियदर्शिनी : शिक्षा और सामाजिक जागरूकता के क्षेत्र में वर्षों से अग्रणी केरल राज्य ने अब एक कदम आगे बढ़ाते हुए अब राज्य के ट्रांसजेंडर समुदाय को दिये जानेवाले शिक्षा अनुदान की समय सीमा को बढ़ा दिया है। साथ ही, ट्रांसजेंडर्स को विवाह अनुदान देने की भी घोषणा की है।
ट्रांसजेंडर समुदाय को समाज की मुख्यधारा में शामिल करने और उन्हें एक बेहतर जिंदगी देने के उद्देश्य से केरल राज्य की वामपंथी सरकार ने एक साथ कई सारे कार्यक्रमों की शुरुआत की है, जिनमें तृतीय लिंग के छात्रों को मिलनेवाले अनुदान के समय को बढ़ाना और कानूनी रूप से विवाहित ट्रांस कपल को वित्तीय सहायता मुहैया करवाना शामिल है।
गत सप्ताह केरल की सामाजिक अधिकारिता मंत्री के के शैलजा ने सामाजिक अधिकारिता विभाग को संबंधित निर्देश देते हुए वर्तमान वित्तीय वर्ष में कमजोर आर्थिक स्थिति वाले छात्रों के लिए छह लाख के अनुदान पैकेज की घोषणा की। इस अनुदान योजना का प्रमुख लक्ष्य सरकारी स्कूलों में सातवीं कक्षा के लेकर सरकारी कॉलेजों में पढ़नेवाले छात्र-छात्राओं को शैक्षिक संस्थाओं में स्व-वित्तपोषित सहायता प्रदान करना है।
सामाजिक अधिकारिता मंत्री का कहना है कि ”यह वित्त सहायता हमारे उस अभियान का एक हिस्सा है, जिसका उद्देश्य ट्रांसजेंडर समुदाय को समाज की मुख्यधारा से जोड़ना है.” उल्लेखनीय है कि इस अभियान के तहत कक्षा 7 से लेकर कक्षा 10 तक में पढ़नेवाले प्रत्येक ट्रांस स्टूडेंट को 10 महीनों की अवधि के लिए 1000 रुपये अनुदानस्वरूप दिये जायेंगे।
उच्चतर माध्यमिक शिक्षा प्राप्त करनेवाले ट्रांसजेंडर छात्रों 1500 रुपये की अनुदान राशि और उससे ऊपर की डिग्री, डिप्लोमा, स्नातकोत्तर कोर्स या अन्य कोई प्रोफेशनल कोर्स करनेवाले ट्रांसजेंडर छात्रों के लिए अनुदान की यह राशि 2000 रुपये की होगी, जो कि उन्हें 10 महीने तक के लिए दी जायेगी।
इसके अलावा, विभाग ने वैसे ट्रांस कपल को 30,000 रुपये का अनुदान देने की घोषणा भी की है, जो कानूनी रूप से विवाह बंधन में बंधे हैं। इसका उद्देश्य ट्रांस समुदाय के लोगों को विवाह के माध्यम से समाज की मुख्यधारा में शामिल करना है। इस योजना के लिए फिलहाल विभाग द्वारा तीन लाख रुपये स्वीकृत किये गये हैं। इसके लिए ट्रांस कपल्स को शादी के छह महीनों के बाद और एक वर्ष पूरे होने से पहले विभाग के समक्ष अपना आवेदन प्रस्तुत करना होगा।
बता दें कि वर्ष 2016 में केरल के कोच्चि जिले में ही ट्रांसजेंडर्स के लिए देश का पहला आवासीय विद्यालय खोला गया था, जिसका नाम ‘सहज इंटरनेशनल’ रखा गया है। यही नहीं, ट्रांस समुदाय के खिलाफ होनेवाले सामाजिक भेदभाव को खत्म करने के लिए केरल में ही सबसे पहले ट्रांसजेंडर पॉलिसी को लागू किया गया था।