नई दिल्ली : मैराथन धाविका कविता राउत ने ओपी जैशा विवाद से खुद को दूर रखते हुए कहा कि रियो ओलंपिक की मैराथन स्पर्धा के दौरान उनके लिये काफी पानी मौजूद था.
गौर हो कि जैशा मैराथन में भाग लेने वाली दूसरी भारतीय धाविका थी. उन्होंने यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया था कि भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (एएफआई) के अधिकारियों ने कड़ी धूप में आयोजित रेस के दौरान उनके लिये पानी और एनर्जी ड्रिंक की कोई व्यवस्था नहीं की थी. एएफआई ने इस दावे का खंडन किया था.
कविता रेस में दो घंटे 59 मिनट और 29 सेकेंड का समय लेकर 120वें स्थान पर रही थी, उसने कहा कि उसे भारतीय अधिकारियों से कोई शिकायत नहीं है.
कविता ने महाराष्ट्र में अपने घर से कहा कि मैं जैशा के मुद्दे में शामिल नहीं होना चाहती. उसने जो कुछ कहा या शिकायत की, उसके बारे में मैं कुछ बात नहीं करना चाहूंगी. मैं खुद के बारे में बात करूंगी और जहां तक मेरा संबंध है, मुझे कोई समस्या नहीं है. यह मेरे लिये सामान्य रेस थी, हालांकि मुझे इस दौरान काफी प्यास लगी क्योंकि रेस कड़ी धूप में हुई थी.
कविता ने कहा कि मैं नहीं जानती कि कितने अंतराल पर पानी के स्टेशन बनाये गये थे. लेकिन वहां पानी के स्टेशन थे और मुझे लगता है कि रेस के दौरान कोर्स पर रखा गया पानी काफी था इसलिये मैंने बिना किसी समस्या के रेस पूरी की.
जैशा 89वें स्थान पर रही थी और मैराथन खत्म होने के बाद फिनिश लाइन पर बेहोश हो गयी थी. उन्होंने आरोप लगाया था कि वहां कोई पानी या एनर्जी ड्रिंक नहीं थी. उसने कहा था कि आठ किमी के बाद ही उसे पानी मिला था. जैशा ने यह भी कहा था कि सभी देशों के प्रत्येक दो किमी पर पानी के स्टेशन थे लेकिन भारतीयों के स्टेशन खाली थे. कविता ने स्पष्ट किया कि एएफआई के अधिकारियों ने उससे पूछा था कि रेस दौरान उसे किसी तरह के विशेष ड्रिंक की जरूरत होगी.
कविता ने कहा कि हां, मुझसे टीम बैठक में पूछा गया था. एएफआई सचिव सी के वालसन, मुख्य कोच बहादुर सिंह और उप मुख्य कोच राधाकृष्णन नायर रेस से एक दिन पहले मेरे पास आये थे और पूछा था कि मुझे किसी विशेष ड्रिंक की जरूरत है. लेकिन मैंने कहा था कि मुझे नहीं चाहिए. कविता ने कहा कि उसे रियो से रवाना होने से पहले 17 अगस्त को थोड़ा बुखार था लेकिन अब वह ठीक है. उन्होंने कहा कि मैंने खेल गांव के पालीक्लिनिक से कुछ दवाईयां ली थी. मैं अब ठीक हूं, बस थोड़ी खांसी है.