नई दिल्ली : भारत के प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने ने यह खुलासा किया है कि कश्मीरी अलगाववादियों को इटली से पैसा मुहैया कराया जाता है। इस सिलसिले में ईडी ने इटली में रहने वाले पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के छह लोगों के बारे में विस्तृत ब्योरा मांगा है।
रविवार (18 सितंबर) को हुए जम्मू-कश्मीर के उरी में हुए आतंकी हमले से करीब तीन हफ्ते पहले श्रीनगर की स्थानीय अदालत में ईडी की तरफ से दायर आरोपपत्र के अनुसार इन सभी लोगों पर कश्मीर अलगाववादी संगठन हुर्रियत कांफ्रेंस के जरिए घाटी में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए आर्थिक मदद देने का संदेह है। एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, ईडी ने श्रीनगर की जिला अदालत में 24 अगस्त और 30 अगस्त को दायर दो आरोपपत्रों में ये जानकारी दी है। आरोपपत्र के अनुसार इटली के ब्रेसिस्का स्थित एक कंपनी मदीना ट्रेंडिंग के जरिए हुर्रियत अलगाववादियों फिरदौस अहमद शाह और यार मोहम्मद खान को पैसा दिया गया ये पैसा पीओके में रहने वाले लोगों ने भेजे थे। ईडी ने शाह और खान के खिलाफ मनी लांड्रिंग और आतंकी गतिविधियों के लिए पैसा जुटाने, आंतक को बढ़ावा देने और भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने का मामला दर्ज किया है।
शाह डेमोक्रेटिक पोलिटिकल मूवमेंट के प्रमुख हैं और सैयद अली शाह गिलानी के हुर्रियत धड़े के सदस्य हैं। मदीना ट्रेडिंग वही कंपनी जिसका इस्तेमाल 2008 में मुंबई में हमला करने वाले पाकिस्तानी आतंकियों ने कॉलफोनेक्स नामक सॉफ्टवेयर में वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल अकाउंट खोलने के लिए किया था। 2008 में पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकी समद्री रास्ते से मुंबई में आंतकी हमला करके 164 लोगों की जान ले ली थी।
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में 8 जुलाई को हिज्बुल मुजाहिद्दीन कमांडर बुरहान वानी के मुठभेड़ में मारे जाने के बाद से ही अशांति फैली हुई है। वानी की मौत के बाद विभिन्न विरोध प्रदर्शनों में अब तक तीन पुलिसवालों समेत 75 लोगों की मौत हो चुकी है। भारत का दावा है कि कश्मीर में हिंसा को पाकिस्तान बढ़ावा दे रहा है। गिलानी एवं अन्य अलगाववादी नेताओं ने भारतीय सांसदों से बातचीत से इनकार कर दिया था।
वहीं इस रविवार (18 सितंबर) को जम्मू-कश्मीर के उरी स्थित आर्मी कैंप पर चार आतंकियों ने हमला कर दिया। हमले में 18 भारतीय जवान शहीद हो गए। सुरक्षा बलों की जवाबी कार्रवाई में सभी आतंकी मारे गए। भारत अधिकारियों के अनुसार सभी आतंकी पाकिस्तान से आए थे और आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद द्वारा भेजे गए थे।