नई दिल्ली : कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने आज सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर कहा है कि कर्नाटक सरकार दिसंबर तक तमिलनाडु को कावेरी नदी का पानी नहीं दे सकता.
इससे पहले कर्नाटक सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का आदेश टालते हुए तमिलनाडु को 23 सितंबर तक कावेरी नदी से 6000 क्यूसेक पानी छोड़ने का फैसला टाल दिया था. राज्य विधानमंडल के विशेष सत्र में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के खिलाफ ये फैसला किया गया था.
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मंत्रिमंडल की आपात बैठक के बाद कहा कि मंत्रिमंडल ने पानी छोड़ना के फैसले को टाल दिया है. मंत्रिमंडल की आपात बैठक से पहले दिन में सर्वदलीय बैठक और मंत्रिपरिषद की बैठक हुई थी.
सिद्धारमैया ने कहा कि मंत्रिमंडल ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मद्देनजर राज्य विधानमंडल का विशेष सत्र 23 सितंबर को बुलाने का फैसला किया है. फैसले में 27 सितंबर तक कर्नाटक से 6000 क्यूसेक पानी छोड़ने का आदेश दिया गया था. उन्होंने कहा कि सर्वदलीय बैठक में सरकार को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर चर्चा के लिए राज्य विधानमंडल का विशेष सत्र बुलाने की सलाह दी गई थी और उसी अनुसार मंत्रिमंडल ने फैसला किया.
कावेरी निगरानी कमिटी ने 19 सितंबर को कर्नाटक से कहा था कि वह 21 सितंबर से 30 सितंबर तक हर दिन 3000 क्यूसेक पानी छोड़े लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 21 सितंबर से 27 सितंबर तक कर्नाटक को तमिलनाडु के लिए 6000 क्यूसेक पानी छोड़ने का आदेश दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश तब दिया था जब तमिलनाडु ने अपनी सांबा धान की फसल को बचाने के लिए पानी को लेकर दबाव बनाया था. पांच सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु में किसानों की दुर्दशा का हल करने के लिए अगले 10 दिनों के लिए 15000 क्यूसेक पानी छोड़ने का आदेश दिया था.