नई दिल्ली : इजरायल के राष्ट्रपति र्यूवेन रिवलिन की सोमवार से शुरू हो रही आठ दिवसीय भारत यात्रा के दौरान पहले से मौजूद घनिष्ठ रक्षा संबंधों और गहरा बनाने पर बल दिया जाएगा। इस यात्रा के दौरान दोनों पक्ष ऊर्जा, कृषि और व्यापार के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए कई संधियों पर हस्ताक्षर करने वाले हैं।
रिवलिन की यात्रा से पहले इजरायल के राजदूत डेनियल कारमोन ने कहा कि द्विपक्षीय रक्षा संबंध क्रेता-विक्रेता और सेना का सेना से संबंध से परे है तथा संदेश कुछ अन्य क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के अलावा इसका और विस्तार करना होगा।
करीब दो दशक में किसी इजरायली राष्ट्रपति की यह पहली भारत यात्रा है। अपनी इस यात्रा के दौरान इजरायली राष्ट्रपति अपने भारतीय समकक्ष प्रणब मुखर्जी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अहम द्विपक्षीय एवं क्षेत्रीय मुद्दों पर सघन बातचीत करेंगे। वह 26 नवंबर के मुम्बई हमले में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए ताजहोटल और चाबड़ हाउस में एक कार्यक्रम में शिरकत करेंगे। इस हमले में छह यहूदियों की जान चली गयी थी।
रक्षा सहयोग के संबंध में कारमोन ने कहा कि इजरायल की नये संयुक्त उपक्रम, हथियार प्रणाली के विकास में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और इस अहम क्षेत्र में मोदी की ‘मेक इन इंडिया’ पहल का क्रियान्वयन सुनिश्चित करने की योजना है जो भारत के साथ उनके देश के विशेष संबंध का महत्वपूर्ण भाग है। उन्होंने विस्तार में जाने से इनकार करते हुए कहा, ‘यह बहुत गहरा संबंध है। भारत और इजरायल का रक्षा के क्षेत्रों में अनोखा संबंध है। नये संयुक्त उपक्रम और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण की योजनाएं हैं।’ भारत इजरायल के हथियारों का सबसे बड़ा खरीदार है।
मोदी की प्रस्तावित इजरायल यात्रा के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण यात्रा होगी है। संकेत हैं कि प्रधानमंत्री 2017 के पूर्वार्ध में इजरायल की यात्रा कर सकते हैं। जब कारमोन से उरी हमले के बाद नियंत्रण रेखा के पार की गयी सैन्य कार्रवाई की मोदी द्वारा तुलना इजरायली जवाब से किये जाने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उनके देश की भू-राजनीतिक स्थिति को ध्यान में रखकर अपने नागरिकों की रक्षा के लिए दृढ़ क्षमता विकसित करनी पड़ी। पिछले साल राष्ट्रपति मुखर्जी ने इजरायल की यात्रा की जो किसी भारतीय राष्ट्राध्यक्ष की पहली इजरायल यात्रा थी।