नई दिल्ली/सिलाकैप : इंडोनेशिया में मादक पदार्थ से जुड़े अपराध के मामले में दोषी ठहराए गए चार लोगों को गुरुवार देर रात में सजा-ए-मौत दे दी गई। इनमे एक स्थानीय और तीन नाइजीरियाई नागरिक शामिल हैं। वहीं, इसी मामले में दोषी भारतीय नागरिक गुरदीप सिंह की सजा फिलहाल टल गई है, उसे कल सजा नहीं मिली। इसके बाद पंजाब के जालंधर में रहने वाले गुरदीप के परिजनों को गुरदीप के जिंदा रहने की उम्मीद बाकि है । विदेश मंत्री सुषमा स्वाराज ने भी परिवार को पूरी मदद का भरोसा दिया है।
इंडोनेशिया में सामान्य अपराध मामलों के उप अटार्नी जनरल नूर राचमाद ने संवददाताओं को बताया कि इन लोगों को गुरुवार मध्यरात्रि के ठीक बाद मौत की सजा दी गई। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया एक भारतीय सहित 10 अन्य दोषियों को मौत की सजा क्यों नहीं दी गई। वहीं, ये खबरें भी आ रही है कि गुरदीप को बचाने के लिए सुषमा स्वराज और भारतीय विदेश मंत्रालय काफी कोशिशें कर रह है। लेकिन, इंडोनेशिया सरकार ने माफी की सभी अपीलें ठुकरा दी हैं। गुरदीप समेत ड्रग के 10 अन्य दोषियों को मौत की सजा कब दी जाएगी अभी इसका एलान नहीं हुआ है।
इंडोनेशिया में नशे की तस्करी में मौत की सजा पाए भारतीय नागरिक गुरदीप सिंह के घर में मातम का माहौल है। उनकी पत्नी तथा परिवार के अन्य सदस्यों को अब भी लगता है कि पिछली बार की तरह इस बार भी मौत की सजा की व्यवस्था टल जाएगी और वह रिहा होकर वापस आ जाएंगे। पिता की मदद से दो बच्चों के साथ पंजाब के जालंधर जिले के नकोदर इलाके में रहने वाली कुलविंदर अभी कुछ भी बोल पाने की स्थिति में नहीं है और उसका रो-रो कर बुरा हाल है। नकोदर इलाके में रहने वाली कुलविंदर कौर ने रूंधे गले से बीते दिनों बताया था कि भारतीय दूतावास के अधिकारी का आज फिर मेरे पास फोन आया था। इस बार आवाज मेरे पति की थी और उन्होंने मुझे कहा कि गुरुवार रात उन्हें गोली मार दी जाएगी और मैं उनका शव यहां मंगवा लूं।
उधर, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आज कहा कि इंडोनेशिया में मादक पदार्थ मामले में भारतीय नागरिक गुरदीप सिंह को मौत की सजा नहीं दी गयी है, जिसे बीती रात मौत की सजा दी जानी थी। सुषमा ने ट्वीट किया कि इंडोनेशिया में भारतीय राजदूत ने मुझे सूचना दी है कि गुरदीप सिंह को मौत की सजा नहीं दी गई है जिसकी मौत की सजा बीती रात के लिए तय थी। सुषमा ने कहा था कि सरकार सिंह को बचाने के लिए अंतिम क्षण का प्रयास कर रही है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि भारतीय नागरिक को मौत की सजा क्यों नहीं दी गयी जबकि चार अन्य दोषियों को ‘फायरिंग स्क्वाड’ ने मौत की सजा दे दी। 48 वर्षीय सिंह का नाम उन 10 दोषियों की सूची में था जिन्हें मौत की सजा दी जानी थी, लेकिन मौत की सजा नहीं दी गई। इंडोनेशिया की एक अदालत ने उसे 300 ग्राम हेरोइन तस्करी करने के प्रयास का दोषी पाया था और उसे 2005 में मौत की सजा सुनाई थी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कल कहा था कि जकार्ता में भारतीय दूतावास के अधिकारी इस मुद्दे को लेकर इंडोनेशियाई विदेश विभाग और देश के शीर्ष नेताओं तक पहुंच रहे हैं। स्वरूप ने कहा कि सिंह के कानूनी प्रतिनिधि अफधाल मुहम्मद का मत था कि वह संबंधित कानून के तहत इंडोनेशिया के राष्ट्रपति के समक्ष क्षमादान की याचिका दायर कर सकता है। दूतावास ने इंडोनेशिया के विदेश मंत्रालय को एक ‘नोट वर्बेल’ भेजकर आग्रह किया कि मौत की सजा से पहले सभी कानूनी उपाय अपनाए जाने चाहिए।
बानतेन हाईकोर्ट ने मई 2005 में मौत की सजा के खिलाफ गुरदीप की अपील को खारिज कर दिया था। फिर उसने सुप्रीम कोर्ट में अपील की जिसने उसकी मौत की सजा बरकरार रखी। वह इस समय नुसाकाबंगन पासिर पुतिह, सिलाकाप में हिरासत में है। गुरदीप सिंह को 29 अगस्त 2004 में सुकर्णो हत्ता हवाईअड्डे से मादक पदार्थ तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। फरवरी 2005 में तांगेरांग अदालत ने उसे मौत की सजा सुनायी थी, जबकि अभियोजकों ने उसे 20 साल का कारावास देने का अनुरोध किया था।
गुरदीप के भांजे गुरपाल सिंह के अनुसार, गुरदीप किसी एजेंट के माध्यम से 2002 में न्यूजीलैंड जाने के लिए सहारनपुर से निकला था लेकिन उसे गलत तरीके से इंडोनेशिया ले जाया गया। गुरपाल ने बताया कि हम सबको यह लग रहा था कि मामा न्यूजीलैंड में हैं। वर्ष 2004 में एक दिन अचानक पता चला कि उन्हें इंडोनेशिया में नशे की तस्करी में गिरफ्तार कर लिया गया है और 2005 में मौत की सजा दे दी गयी है।