रचना प्रियदर्शिनी : ट्रांसजेंडर समुदाय के इतिहास में 25 नवंबर, 2020 का दिन ऐतिहासिक साबित हुआ, क्योंकि इस दिन गुजरात के वडोदरा शहर में LGBTQIA कम्युनिटी के लिए देश का पहला शेल्टर होम खोला गया। यह अपनी तरह का पहला ऐसा शेल्टर होम होगा, जहां केवल LGBTQIA कम्युनिटी के लोगों को आश्रय दिया जायेगा।
यह शेल्टर होम सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार एवं लक्ष्य ट्रस्ट (गुजरात में लैंगिंक अल्पसंख्यकों के सहयोग एवं कल्याण हेतु समर्पित संस्था) के आपसी सहभागिता का परिणाम है। इस शेल्टर होम को ‘गरिमा गृह’ नाम दिया गया है। यहां फिलहाल 25 ट्रांसजेंडर्स के रहने की व्यवस्था है। इन सभी ट्रांसजेंडर्स को यहां मूलभूत आवासीय सुविधाओं सहित सुरक्षा एवं कौशल विकास का प्रशिक्षण भी दिया जायेगा और यह सारी सुविधाएं बिल्कुल फ्री होंगी।
लक्ष्य संस्था के संस्थापक और देश के पहले गे राजकुमार मानवेंद्र सिंह गोहिल का कहना है कि ”यह परियोजना लंबे समय से पेंडिंग थी, हालांकि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने तो वर्ष 2014 में ही तृतीय लिंग को मान्यता प्रदान करते हुए उनके लिए समान अधिकार की गारंटी सुनिश्चित कर दी थी। अब करीब छह वर्षों बाद सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम निश्चित रूप से समाज की मानसिकता को बदलने में कारगर साबित होगा। उम्मीद है आनेवाले समय में सरकार द्वारा देश के अन्य हिस्सों में और भी ऐसे सेंटर्स खोले जायेंगे।”
इस शेल्डर होम की सह-संस्थापक और ट्रांसजेंडर कम्युनिटी की प्रतिनिधि सिल्वी मर्चेंट का कहना है कि ”इस शेल्टर होम को ट्रांसजेंडर पर्सन (प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स) एक्ट, 2019 के प्रत्यक्ष परिणाम के तौर पर देखा जा सकता है, जिसके तहत ट्रांसजेंडर्स के लिए सुरक्षा एवं आवास का प्रावधान निर्धारित किया गया है। ट्रांसजेंडर समुदाय लंबे समय से समाज में उपेक्षित, कलंकित तथा अपने मूलभूत मानवाधिकारों से वंचित रहा है। ऐसे में सरकार का यह निर्णय उनके लिए बहुत बड़ा सहयोग एवं राहत साबित होगा।”
वहीं देश की पहली ट्रांसजेंडर कॉलेज प्रिंसिपल मानबी बंदोपाध्याय कहती हैं कि ”ट्रांसजेंडर बच्चों को बचपन से ही उपेक्षा और अपमान सहना पड़ता है। ज्यादातर को उनके घर से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है। इस कारण वे बेहद अकेला महसूस करते हैं और अवसादग्रस्त हो जाते हैं। ट्रांसजेंडर्स के लिए कोई ओल्ड एज होम भी नहीं होता। ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार द्वारा इस ‘गरिमा गृह’ की स्थापना का निर्णय निश्चित ही स्वाग्तयोग्य है। अन्य राज्यों में भी ऐसे आश्रय गृहों की स्थापना की जानी चाहिए।”