नई दिल्ली : उत्तर कोरिया द्वारा पाकिस्तान के सहयोग से पांचवें परमाणु परीक्षण के बाद भारत ने भी सख्त रुख अपनाने के संकेत दिए हैं। बहुत जल्द भारत सरकार दोनों के नापाक गठजोड़ पर से परदा उठा सकती है।
एनएसजी की सदस्यता का विरोध करने के बाद से ही भारत पाक से नाराज चल रहा है। इतना ही नहीं पाक ने उसके बाद भी अपने रुख से साफ कर दिया है कि वो अपनी हरकतों से बाज आने वाला नहीं है। इसलिए भारत ने अमरीका से सैन्य संबंधों को मजबूती देते हुए दोनों देशों के बीच जारी गुप्त संबंधों को दुनिया के समक्ष खोल कर रख देने का निर्णय लिया है। विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि भारत परमाणु और मिसाइल तकनीक में होने वाले प्रसार को लेकर चितिंत है।
दरअसल पाक-उत्तर कोरिया के बीच गठजोड़ का यह सिलसिला 1990 में रोडोंग मिसाइल तकनीक के साथ शुरू हुआ था और ये अभी तक चल रहा है। पाकिस्तान में न्यूक्लियर कार्यक्रम के संस्थापक अब्दुल कादिर खान ने इरान, लीबिया और उत्तर कोरिया से परमाणु तकनीक की जानकारी ली थी।
उसके बाद कादिर खान ने 2011 में दावा किया कि पाक के वरिष्ठ अधिकारियों ने उत्तर कोरिया से रिश्वत लेकर उत्तर कोरिया को परमाणु तकनीक बेच दी थी। पाक पर दबाव बढ़ाने के तहत राजनाथ सिंह अगले हफ्ते रूस व अमरीका का दौरा करेंगे। इस दौरान वह पड़ोसी मुल्क द्वारा प्रायोजित आतंकवाद को बेनकाब करेंगे।