नई दिल्ली: चीन को लेकर रूस के नरम रवैये को देखते हुए भारत में काफी नाराजगी है। चीन के वन बेल्ट वन रोड फोरम को लेकर भारत नाराज है क्योंकि यह उसके संप्रभुता पर असर डालता है। भारत की नाराजगी के बावजूद रूस बीजिंग में OBOR फोरम के लिए आयोजित समारोह में शामिल हुआ। इसके अलावा रूस को भारत के एनएसजी में सदस्यता के मुद्दे पर जिस तरह का चीन पर दबाव बनाना था, रूस उसे भी करने में असफल रहा है। रूस के इस तरह के व्यवहार को देखते हुए भारत ने चेतावनी दी है कि यदि रूस चीन की तरफ झुकाव दिखाएगा तो भारत और रूस के रिश्ते पहले जैसे नहीं रहेंगे। भारत सरकार रूस को ये संदेश देना चाहती है कि उसे अपनी भूमिका को सपष्ट करना होगा।
भारतीय नीति निर्माताओं को ऐसा लगता है कि पिछले कुछ समय से रूस और चीन में नजदीकियां बढ़ी हैं। भारत को एनएसजी की सदस्यता दिलवाने में रूस अपनी ताकत का सही इस्तेमाल नहीं कर रहा है। कहीं न कहीं रूस भी इस बात को समझ रहा है कि चीन के साथ उसकी दोस्ती इस समझौते पर भारी पड़ रही है और भारत इसे टालने की कोशिश कर रहा है।
हाल ही में भारत दौरे पर आये रूस के उपप्रधानमंत्री दिमत्री रोगोजिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने इस मुद्दे को उठाया था।लेकिन भारत की ओर से इस पर कोई ठोस जवाब नहीं मिला है। जून में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और नरेंद्र मोदी की मुलाकात होनी है। लिहाजा रूस भी मोदी सरकार से रुख से परेशान है।
वन बेल्ट, वन रोड समिट में शामिल होने के लिए पुतिन खुद चीन गए थे। भारत के दूसरे पड़ोसियों की तरह रूस भी यह मानता है कि OBOR का उस विवादित चीन-पाक आर्थिक गलियारे से से कोई सीधा संबंध नहीं है जो भारत के लिए संप्रभुता से जुड़ा मसला है। पिछले साल पाकिस्तान के साथ सैन्य अभ्यास कर के भी रूस ने भारत को नाराज कर दिया था।