नई दिल्ली : परमाणु सामग्री आपूर्तिकर्ता समूह – एन.एस.जी. में भारत की सदस्यता के बारे में फैसला अब सोल में 24 जून को निर्धारित पूर्ण बैठक में विचार होने की उम्मीद है। विएना के बैठक में इस बारे में कोई फैसला नहीं हो सका। विएना में अमरीका और अन्य सदस्य देशों ने ने भारत की सदस्यता के लिए समर्थन किया,लेकिन चीन ने इसका विरोध किया।
विएना बैठक में चीन ने खुले तौर पर तो भारत की सदस्यता का विरोध नहीं किया, लेकिन उसके साथ परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर कराए जाने की शर्त जोड़ दी। इस मामले पर भारत का तर्क है कि एन.एस.जी. में शामिल होने के लिए परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर करना अनिवार्य नहीं है। इससे पहले फ्रांस को यह छूट मिल चुकी है। एन.एस.जी. में सभी फैसले एकमत से लिए जाते हैं, इसलिए अगर एक भी सदस्य विरोध में वोट देता है, तो भारत इसका सदस्य नहीं बन पाएगा। सूत्रों के अनुसार अध्यक्ष ने सदस्य देशों की राय पर विचार किया और अब वो सोल में एन. एस. जी. की पूर्ण बैठक में आगे चर्चा कराएंगे।
मैक्सिको प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हाल की यात्रा के दौरान भारत की सदस्यता का समर्थन कर चुका है। अमरीका और स्विट्ज़रलैंड भी समर्थन दे चुके हैं। जापान ने भी भारत के इस समूह में शामिल होने के लिए समर्थन व्यक्त किया है। विएना में एन.एस.जी. की बैठक से पहले अमरीका के विदेश मंत्री जॉन कैरी ने उन सदस्य देशों को पत्र लिखा था, जो भारत का समर्थन नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा था कि इन देशों को भारत के प्रवेश पर सहमति में रुकावट न डालने पर राज़ी हो जाना चाहिए।