बेंगलुरू : एंट्रिक्स-देवास मामले में भारत पंच निर्णय के एक अंतरराष्ट्रीय मंच में मुकदमा हार गया है और इस मामले में देश को मुआवजे के रूप में करोड़ों डॉलर देने पड़ सकते हैं। यह मामला एंट्रिक्स कोर्प द्वारा निजी मल्टीमीडिया कंपनी देवास के साथ अपने अनुबंध को रद्द करने से जुड़ा है।
हेग स्थित मध्यस्थ निर्णय की स्थायी अदालत (पीसीए) के एक न्यायाधिकरण ने पाया कि दो उपग्रहों तथा स्पेक्ट्रम के इस्तेमाल से जुड़े अनुबंध को रद्द करते समय भारत सरकार ने ‘गलत’ व ‘अन्यायपूर्ण’ रवैया अपनाया। देवास मल्टीमीडिया ने कहा कि न्यायाधिकरण ने पाया कि अनुबंध रद्द करने तथा देवास को एस बैंड स्पेक्ट्रम के वाणिज्यिक इस्तेमाल की अनुमति नहीं देने की भारत सरकार कार्रवाई ‘स्वामित्वहरण’ का मामला है।
कंपनी के बयान के अनुसार मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने यह निर्णय कल सुनाया। इसमें उसने यह भी माना कि भारत सरकार ने देवास के विदेशी निवेशकों के साथ निष्पक्ष व न्यायोचित व्यवहार करने की अपनी संधिगत प्रतिबद्धताओं का भी उल्लंघन किया है।
इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया में भारत सरकार ने कहा है कि उसने मंत्रिमंडलीय समिति (सुरक्षा) के फैसले के जरिए अपने सुरक्षा हितों के लिए उचित व तर्कसंगत उपाय किए। सरकार का कहना है कि मुआवजे की सीमित देनदारी निवेश मूल्य के 40 प्रतिशत तक सीमित होनी चाहिए और सटीक मात्रा अभी तय नहीं की गई। अंतरिक्ष विभाग ने एक बयान में कहा है कि न्यायाधिकरण की व्यवस्था की समीक्षा की जा रही है और उचित कानूनी कदम उठाए जाएंगे। हम इस मामले में अपने स्वायत्त रणनीतिक सुरक्षा हितों सहित हमारे व्यापक राष्ट्रीय हितों के अनुसरण को प्रतिबद्ध हैं।
बयान के अनुसार,‘ मध्यस्थ न्यायाधिकरण ने यह अवार्ड अधिकार क्षेत्र और मेरिट के आधार पर जारी किया है। न्यायाधिकरण ने कहा है कि इस संधि (भारत-मारीशस बीआईपीए) के तहत भारत सरकार के जरूरी सुरक्षा हित प्रावधान इस मामले में भी कुछ हद तक लागू होंगे।’
गौर हो कि सितंबर 2015 में इंटरनेशनल चैंबर आफ कॉमर्स (आईसीसी) की मध्यस्थता निकाय कोर्ट ऑफ आर्ब्रिटेशन ने एंट्रिक्स से कहा था कि वह देवास मल्टीमीडिया को लगभग 4432 करोड़ रूपये का भुगतान नुकसान के मुआवजे के रूप में करे। कोर्ट का कहना था कि एंट्रिक्स ने देवास मल्टीमीडिया के साथ सौदे को ‘गैर कानूनी तरीके’ से समाप्त किया।
पीसीए संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय व्यापार कानून आयोग के पंचनिर्णय प्रक्रिया संबंधी नियमों के तहत विभिन्न सरकारों से जुड़े मामलों को देखता है जिनमें निवेश समझौतों से जुड़े दावे भी हैं। इस सौदे के चलते इसरो के पांच वरिष्ठ वज्ञानिकों की सरकारी नौकरी चली गई थी जिनमें इसके पूर्व चेयरमैन जी. माधवन नायर शामिल हैं। देवास-एंटिक्स अनुबंध के रद्दीकरण मामले में किसी अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण का यह दूसरा फैसला है। देवास का कहना है कि पंचों की सर्वसम्मति के इस फैसले में न्यायाधिकरण में भारत द्वारा नियुक्त पंच की राय भी शामिल है।