नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल सीसी ने विस्तृत वार्ताओं के दौरान आतंकवाद एवं कट्टरपंथ की दोहरी चुनौतियों से प्रभावशाली तरीके से निपटने के लिए आपसी रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग बड़े स्तर पर बढ़ाने का निर्णय लिया। भारत एवं मिस्र दोनों आतंकवाद के खिलाफ लड़ रहे हैं, ऐसे में दोनों नेताओं ने इस समस्या को ‘सबसे गंभीर खतरों’ में से एक बताया और रक्षा सहयोग बढ़ाने के अलावा इससे निपटने के लिए बड़े स्तर पर सूचना एवं संचालनात्मक आदान प्रदान करने का निर्णय लिया। मिस्र पूर्वोत्तर एशिया एवं पश्चिम एशिया के बीच अहम लिंक है।
मोदी ने सीसी से मुलाकात के बाद कहा कि हमारा मानना है कि बढ़ता कट्टरपंथ, हिंसा और आतंकवाद इस क्षेत्र में एक वास्तविक खतरा है।’ दोनों देशों ने व्यापारिक एवं वाणिज्यिक संबंधों को मजबूत बनाने का भी निर्णय लिया और माना कि दोनों देशों में ऐसे आर्थिक अवसरों को भुनाने के कई मौके हैं जिनका अभी दोहन नहीं किया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देशों ने रक्षा व्यापार, प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण बढ़ाने का निर्णय लेने के अलावा कई क्षेत्रों में संबंधों को आगे ले जाने के लिए ‘कार्रवाई उन्मुख एजेंडे’ पर सहमति जताई। यहां कल तीन दिवसीय यात्रा पर पहुंचे सीसी ने कहा कि उनकी सरकार द्विपक्षीय व्यापार एवं निवेश सहयोग को बढ़ाने का रोडमैप तैयार करने के साथ साथ भारत के साथ मजबूत सुरक्षा सहयोग विकसित करने की दिशा में काम करेगी।
वार्ता के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि दोनों नेता आतंकवाद के सभी रूपों की कड़ी निंदा करते हैं। उन्होंने आतंकवाद को अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक बताया। उन्होंने सभी स्तरों पर आतंकवाद को हराने के लिए आपसी सहयोग मजबूत करने का अपना संकल्प दोहराया। बयान में कहा गया है कि उन्होंने समग्र अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद सम्मेलन (सीसीआईटी) के संबंध में संयुक्त राष्ट्र में मिलकर काम करने का संकल्प दोहराया। प्रधानमंत्री ने मीडिया में जारी अपने बयान में कहा कि भारत के 1.25 अरब लोग खुश हैं कि मिस्र के राष्ट्रपति यहां आएं हैं और दोनों पक्षों के बीच सहयोग के बहु स्तम्भों के निर्माण पर दोनों ने सहमति जताई।