नई दिल्ली : गुजरात की सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ का एनजीओ ‘सबरंग ट्रस्ट’ अब विदेशी चंदा हासिल नहीं कर सकेगा, क्योंकि गृह मंत्रालय ने इस एनजीओ का एफसीआरए लाइसेंस रद्द कर दिया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक आदेश जारी कर कहा है कि तीस्ता और उनके पति जावेद आनंद की ओर से संचालित एनजीओ ‘सबरंग ट्रस्ट’ का स्थायी पंजीकरण तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है।
सबरंग ट्रस्ट ने एफसीआरए पंजीकरण रद्द करने के सरकार के फैसले पर अफसोस जताते हुए कहा कि उसे इसमें कोई आश्चर्य नहीं लगा। पता था कि यह आदेश आ सकता है। एनजीओ ने कहा कि उसकी योजना उसे विदेशी कोष लेने से रोकने के गृह मंत्रालय के फैसले को चुनौती देने की है। एक बयान में एनजीओ ने कहा कि उस पर लगे आरोप दिखाते हैं कि बिल्कुल भी गंभीरता नहीं बरती गई तथा ट्रस्ट ने ‘हर बिन्दु और पैराग्राफ’ का जवाब दिया था। इसमें कहा गया कि सबरंग ट्रस्ट गृह मंत्रालय के इस आदेश को चुनौती देने के लिए सभी कानूनी विकल्पों का सक्रिय रूप से तलाश करेगा।
सरकार ने दलील दी है कि विदेशी चंदा नियमन कानून (एफसीआरए) के तहत एनजीओ की ओर से प्राप्त विदेशी चंदों का इस्तेमाल उन उद्देश्यों के लिए नहीं किया जा रहा था, जिनके लिए उसे किया जाना चाहिए था। आदेश में कहा गया कि निरीक्षणों के दौरान गृह मंत्रालय ने पाया कि ‘तीस्ता और आनंद दोनों विदेशी चंदों का इस्तेमाल अक्सर होटलों में खाना खाने, अपने घर पर खाना मंगवाने, महंगी दुकानों से केक और मिठाइयां मंगवाने, कान साफ करने वाली रूई, गीले वाइप्स, क्लिपर, सैनिटरी नैपकिन जैसे विशुद्ध निजी चीजों की खरीद के लिए करते थे और यह धनराशि एफसीआरए खाते से ट्रस्टियों को वापस दे दी जाती थी।’
गृह मंत्रालय ने अपने आदेश में कहा कि ‘सबरंग ट्रस्ट’ ने ‘सबरंग कम्यूनिकेशंस एंड पब्लिशिंग प्राइवेट लिमिटेड’ (एससीपीपीएल) के लिए 50 लाख रूपए खर्च किए थे। तीस्ता और आनंद एससीपीपीएल में निदेशकों, सह-संपादकों, प्रिंटरों और प्रकाशकों के तौर पर काम कर रहे हैं जो साफ तौर पर एफसीआरए का उल्लंघन है।
गृह मंत्रालय ने कहा कि ऐसा करके एनजीओ ने न केवल एक गैर-पंजीकृत संस्था के उद्देश्यों के लिए विदेशी चंदे का अनधिकृत तौर पर इस्तेमाल किया, बल्कि उस संस्था ने भी एक स्व-स्वामित्व वाली मीडिया और प्रकाशन कंपनी के तौर पर ऐसी गतिविधियों के लिए धनराशि का इस्तेमाल किया जो एफसीआरए के तहत पूरी तरह प्रतिबंधित है। आदेश में यह भी कहा गया है कि एनजीओ ने अपने विदेशी चंदे वाले खाते से 2.46 लाख रूपए ‘सबरंग ट्रस्ट’ के घरेलू खाते में भेजे और इस तरह घरेलू एवं विदेशी कोषों को मिलाकर उन्होंने नियमों का उल्लंघन किया।
‘सबरंग ट्रस्ट’ ने अपने एफसीआरए खाते से करीब 12 लाख रूपए का सीधा भुगतान तीस्ता और आनंद के क्रेडिट काडरें पर क्रमश: सिटी बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में किया। गृह मंत्रालय ने कहा कि ये कार्ड व्यक्ति के नाम पर जारी किए गए हैं और विदेशी चंदों के उपरोक्त भुगतान को माना जाएगा कि इनका इस्तेमाल निजी फायदे के लिए किया गया। आदेश में कहा गया कि एनजीओ को निजी सुनवाई का अवसर दिया गया, लेकिन इसकी ओर से दिया गया जवाब और उपलब्ध कराए गए दस्तावेज संतोषजनक नहीं थे क्योंकि उसमें उल्लंघनों के बारे में पर्याप्त स्पष्टीकरण नहीं दिया गया था।
बताते चलें कि पिछले साल सितंबर महीने में आई एक रिपोर्ट के अनुसार मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद 13,700 भारतीय और विदेशी एनजीओ के एफसीआरए लाइसेंसों को रद्द किया गया है।