नई दिल्ली : यह एक ऐसे हिंदुस्तानी की कहानी है जिसे अपने रिश्तेदार की बात इस कदर चुभी कि उसने दुनिया की सबसे ऊंची बिल्डिंग बुर्ज खलीफा में 22 फ्लैट खरीद लिए। वह इसमें अभी और भी फ्लैट खरीदना चाहता है।
खलीज टाइम्स के अनुसार केरल में जन्मे भारतीय मैकेनिक जॉर्ज वी नेरयमपरमपिल एक मैकेनिक थे और शारजहां आकर बिजनेसमैन बन गए। 900 अपार्टमेंट वाली इस बिल्डिंग में 22 फ्लैट नेरयमपरमपिल के हैं और इनमें उन्होंने 5 फ्लैट किराये पर दिए हुए हैं। बचे हुए फ्लैट के लिए उन्हें सही किराएदार की तलाश है। साल 2010 में एक अखबार में इस इमारत में किराए पर एक फ्लैट का विज्ञापन देखने के बाद जॉर्ज ने उसे उसी दिन किराए पर ले लिया और उसी में रहने लगे।
जॉर्ज के फ्लैट खरीदने की कहानी काफी दिलचस्प है। एक बार 828 मीटर ऊंची इस बिल्डिंग को जॉर्ज और उनके रिश्तेदार देखने गए। दोस्त ने ऐसे ही मजाक में कहा, देखों यह बुर्ज खलीफा है। इस बिल्डिंग में तुम घुस भी नहीं सकते। जॉर्ज को दोस्त की यह बात ऐसी बुरी लगी कि उन्होंने छह साल बाद उसी बिल्डिंग में एक नहीं 22 फ्लैट खरीद डाले।
1976 में जब जॉर्ज पहली बार शारजाह आए थे तो उन्हें लगा कि इस गर्म जलवायु वाले इलाके में एयर कंडीशनर बिजनेस का काफी स्कोप है। यहीं से उन्होंने अपने मिनी एंपायर जीईओ ग्रुप ऑफ कंपनी की नींव डाली।
जॉर्ज अपने गांव में 11 साल की उम्र से ही अपने पिता के व्यवसाय में मदद करनी शुरू कर दी थी। जॉज कहते हैं कि मेरे गांव में लोग कपास का व्यापार करते थे लेकिन वो कपास के बीजों को फेंक देते थे। उस समय काफी लोगों को पता नहीं था कि कपास के बीजों से गम बनाई जा सकती है। उन्होंने उन्हीं फेंके हुए बीजों को साफ कर गम बनाना शुरू किया।
11 साल की उम्र से जॉर्ज कबाड़ से जुगाड़ के एक्सपर्ट रहे हैं। जॉर्ज से जब पूछा गया कि आपकी आगे की क्या योजना है तो उन्होंने कहा, मेरी अगली बड़ी योजना त्रिवेंद्रम से कसाराकोड को जोड़ने वाली नहर तैयार करना है। मैं दूसरे लोगों को भी इस योजना को पूरा करने में आगे बढ़ने के लिए आह्वान करता हूं। इस नहर से मैं प्रकृति से जुड़ना चाहता हूं। जंगल व आसपास से जो पानी आएगा वो इस नहर में गिरेगा, हम यहां से बिजली पैदा करेंगे। इसके पानी का इस्तेमाल सिंचाई और मछली पकड़ने के लिए भी किया जाएगा।