गुड़गांव : बीएसएफ के नबील वानी के बाद अब एक और कश्मीरी नौजवान देश की सेवा और सुरक्षा करने के लिए तैयार है. ये हैं कश्मीर के बारामूला के रहने वाले गुल जुनैद. गुल जुनैद सीआरपीएफ के अस्सिटेंट कमांडेंट बन गए है. गुरूवार को गुड़गांव के नज़दीक कादरपुर स्थित सीआरपीएफ एकेडमी में गुल जुनैद की पासिंग ऑउट परेड हुई.
इस मौके पर एक न्यूज चैनल से बात करते हुए हुए गुल जुनैद ने कहा कि वे चाहते हैं कि कश्मीर एक बार फिर से जन्नत बन जाए. उन्होनें कहा कि मैं कश्मीर की खोई हुई गरिमा को वापस लाने में मदद करूंगा ताकि समाज के सभी लोग खुशी से रह सकें. मुझे पूरी उम्मीद है कि कश्मीर में एक बार फिर शांति कायम हो जाएगी.
अस्टिटेंट कमाडेंट जुनैद के मुताबिक वो कश्मीर के युवाओं को संदेश देना चाहते हैं कि वे पढ़ें-लिखे ताकि देश के काम आ सकें, अपने हुनर को पहचानें और दुनिया में नाम कमा सकें.
जब जुनैद से पूछा कि जिस तरह से पिछले ढाई महीने से कश्मीर में हालात खराब हैं और सीआरपीएफ वहां मोर्चा संभाले हुए है. अगर जरूरत हुई तो वो भी स्थिति सामान्य करने के लिए वहां जाना चाहेंगे? इस सवाल के जवाब में उन्होनें कहा कि वो देश के किसी भी कोने में शांति कायम करने के लिए हमेशा तत्पर हैं.
जुनैद के मुताबिक, उसके अंकल आईपीएस ऑफिसर रह चुके हैं. उनको देखकर ही उसे वर्दी पहनने की प्रेरणा मिली. जम्मू से इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले है जुनैद के पिता राज्य सरकार के मुलाजिम हैं और मां स्कूल की प्रिंसपल. घर मे माता पिता के अलावा दो बहनें हैं. गुरूवार को पासिंग ऑउट परेड में शामिल होने उसके माता पिता भी कश्मीर से कादरपुर पहुंचें.
कादरपुर एकेडमी में जब एक मीडियाकर्मी ने जुनैद से ये सवाल पूछ डाला कि उनका कश्मीर के अलगाववादियों पर क्या कहना है तो एक सच्चे सिपाही की तरह सीधा उनका जवाब था कि ये राजनैतिक सवाल है, मैं देश की सेवा और सुरक्षा करने के लिए सीआरपीएफ में शामिल हुआ हूं.
जुनैद के मुताबिक, सीआरपीएफ देशभर में लॉ एंड ऑर्डर में लगी हुई है, काउंटर-इनसर्जेंसी में लगी है, नक्सलवाद के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है. ये सब देखकर वो भी सीआरपीएफ की तरफ आकर्षित हुए. एक साल की ट्रैनिंग पूरी होने के बाद जुनैद अब छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाके बीजापुर में पहली ड्यूटी पर जा रहे हैं.
पिछले ढाई महीने से कश्मीर घाटी में हालात कराब हैं. जगह-जगह उग्र प्रदर्शन हो रहे हैं. सुरक्षाबलों पर हमले हो रहे हैं. ऐसे में नबील वानी और गुल जुनैद जैसे नौजवानों की कहानियां कश्मीर के युवाओं के लिए एक मिसाल कायम होंगी.