नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते हैं कि वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी अगले साल पहली अप्रैल से ही लागू हो. जीएसटी पूरे देश को एक बाजार बनाने वाली कर व्यवस्था है और इसके लागू होने के बाद तमाम तरह के अप्रत्यक्ष कर मिलकर एक हो जाएंगे.
मोदी का ये रुख ऐसे समय में आया है जब उद्योग और व्यापार जगत चाहता है कि नयी कर व्यवस्था को लागू करने के लिए कुछ और समय दिया जाएगा. उनका मानना है कि नयी व्यवस्था की तैयारियों में कुछ समय लगेगा. लिहाजा पहली अप्रैल के बजाए अगस्त या सितम्बर में जीएसटी लागू करना बेहतर होगा. लेकिन मोदी के ताजा रुख से साफ है कि पहली अप्रैल से कोई देरी नहीं होगी.
जीएसटी की तैयारियों की सिलसिले में मोदी ने वित्त मंत्रालय के साथ एक बैठक की. बैठक को लेकर सरकार की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक, पहली अप्रैल से जीएसटी लागू करना सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री ने मॉडल जीएसटी कानून, नियमों, आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर, केंद्र व राज्य सरकार के कर्मचारियों का प्रशिक्षण और उद्योग व व्यापार जगत को हर जरुरी जानकारी मुहैया कराने को लेकर की जा रही तैयारियों का जायजा लिया. बैठक में मोदी ने निर्देश दिया कि हर जरुरी कदम पहली अप्रैल के पहले उठा लिए जाने चाहिए.
इसी हफ्ते मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जीएसटी गाउंसिल के गठन और कार्यकलाप से जुड़े प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. काउंसिल कर की दर को तो अंतिम रुप देगी ही,साथ ही जीएसटी से छूट पाने वाले वस्तुओं और सेवाओं की सूची को अंतिम रुप देगी.
इस दरमयान यह भी तय किया जाएगा कि कितना कारोबार करने वाले व्यापारी जीएसटी के दायरे में आएंगे. समिति नए कर को लेकर केद्र और राज्य के साथ ही राज्यों के बीच के विवाद को सुलझाएगी. काउंसिल के मुखिया केंद्रीय वित्त मंत्री होंगे जबकि वित्त राज्य मंत्री के साथ 29 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेश को मनोनित मंत्री सदस्य होंगे. काउंसिल का गठन सोमवार से प्रभावी हो गया है और इसकी पहली बैठक 22 और 23 सितम्बर को बुलायी गयी है.
काउंसिल में विभिन्न प्रस्तावों पर फैसला मत के आधार पर होगा. मत की ये व्यवस्था कुछ इस तरह की गयी है जिससे किसी के पास वीटो नहीं होगा. कुल मतों का दो-तिहाई राज्यों के पास होगा जबकि बाकी एक तिहाई केंद्र के पास. फैसला तीन चौथाई मत के आधार पर होगा. पूरी व्यवस्था कुछ इस तरह बनायी गयी है कि ना तो तमाम राज्य और ना ही केंद्र अपने बल बुते पर किसी प्रस्ताव को रोक सकता है. राजस्व सचिव हसमुख अढ़िया पहले ही कह चुके हैं कि काउंसिल की बैठक की तारीख से दो महीने के भीतर भीतर कर की दर, छूट की सूची और कर लगाने के लिए कारोबार जैसे तमाम मुद्दों को सुलझाने का लक्ष्य रखा गया है.
बैठक के दौरान प्रधानमंत्री का मानना था कि जीएसटी काउंसिल की लगातार बैठखें होनी चाहिए ताकि वो टैक्स की दर, जीएसटी से छूट पाने वाली वस्तुओं व सेवाओ की सूची और मॉडल जीएसटी कानून के बारे में सुझाव दे सके.