नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) संविधान संशोधन विधेयक में कुछ प्रमुख बदलावों को मंजूरी दे दी। राज्यों को एक प्रतिशत अतिरिक्त विनिर्माण कर लगाने संबंधी प्रावधान हटा को लिया गया है। इसके साथ ही जीएसटी अमल में आने के पहले पांच साल के दौरान राज्यों को राजस्व नुकसान की भरपाई की गारंटी पर भी मंत्रिमंडल ने मुहर लगा दी है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में ये निर्णय लिये गये। जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक में यह भी प्रावधान किया जाएगा कि जीएसटी लागू होने पर केन्द्र और राज्यों के बीच विवाद की सूरत में जीएसटी परिषद में मामला जायेगा और वही फैसला करेगी। इस परिषद में केन्द्र और राज्य दोनों के प्रतिनिधि होंगे।
जीएसटी विधेयक में किये गये इन बदलावों पर राज्यों की सहमति होने और विधेयक में इन संशोधनों पर केन्द्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद सरकार को लंबे समय से अटके पड़े जीएसटी विधेयक के राज्यसभा में पारित होने की उम्मीद है। सरकार को उम्मीद है कि विधेयक को संसद के चालू मानसून सत्र में ही पारित करा लिया जाएगा।
जीएसटी विधेयक इन ताजा बदलावों के साथ राज्यसभा में इस सप्ताह नहीं तो अगले सप्ताह अवश्य चर्चा के लिये पेश किया जा सकता है। केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने जिन संशोधनों को मंजूरी दी है वे जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक का हिस्सा होंगे। हालांकि, इससे पहले विधेयक को लोकसभा पिछले साल मई में मंजूरी दे चुकी है। राज्यसभा में संशोधन के साथ विधेयक के पारित होने के बाद संशोधित विधेयक को फिर से लोकसभा में पारित कराने के लिए भेजना होगा।
केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक में संशोधनों को मंजूरी दे दी गई है। वित्त मंत्री अरूण जेटली ने राज्यों के वित्त मंत्रियों की प्राधिकृत समिति के साथ बैठक में जीएसटी विधेयक में राज्यों को शुरूआती पांच साल तक राजस्व क्षतिपूर्ति की व्यवस्था को शामिल करने का आश्वासन दिया था।
जीएसटी विधेयक में दी गई मौजूदा व्यवस्था में राज्यों को पहले तीन साल तक 100 प्रतिशत, चौथे साल 75 प्रतिशत और पांचवें साल 50 प्रतिशत राजस्व नुकसान की भरपाई का प्रावधान किया गया था। राज्यसभा की प्रवर समिति ने हालांकि पूरे पांच साल तक 100 प्रतिशत राजस्व नुकसान की भरपाई की सिफारिश की थी।
मंत्रिमंडल ने जिन संशोधनों को आज मंजूर किया उसके मुताबिक केन्द्र सरकार राज्यों को संविधान के तहत पहले पांच साल तक राजस्व में यदि नुकसान होता है तो उसकी भरपाई की गारंटी होगी। विधेयक में एक प्रतिशत अंतर-राज्यीय कर को समाप्त कर सरकार ने विपक्षी दल कांग्रेस की तीन में से एक प्रमुख मांग को मान लिया है। कांग्रेस के विरोध की वजह से ही जीएसटी विधेयक राज्यसभा में अटका हुआ है।
कांग्रेस की दो अन्य प्रमुख मांगों पर कोई पहल नहीं हुई है। कांग्रेस की मांग है कि जीएसटी की अधिकतम दर का संविधान में उल्लेख किया जाये और कर विवाद का निपटारा उच्चतम न्यायालय के न्यायधीश की अध्यक्षता वाली संस्था करे। कहा जा रहा है कि जीएसटी दर का उल्लेख जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक के बाद आने वाले जीएसटी के दो अन्य विधेयकों में किया जा सकता है।