गलगोटिया विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ लिबरल एजुकेशन में एक हफ्ते तक चलने वाले फैकल्टी डेवेलपमेंट प्रोग्राम का उद्घाटन सोमवार को किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि टेक-महिंद्रा के भूतपूर्व चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर श्री अमिताभ रॉय व स्कूल फॉर ऑल के सीईओ डॉ. सुरजीत साहा थे।
कार्यक्रम की शुरुआत विश्वविद्यालय सलाहकार प्रोफेसर डॉ. रेनु लूथरा की अगुवाई में दीप-प्रज्जवलन व सरस्वती वंदना से हुई। इस अवसर पर स्कूल ऑफ लिबरल एजुकेशन की डीन डॉ. अनुराधा पाराशर ने कहा कि ब्रांडिंग एक यात्रा है और प्रत्येक शिक्षक अपने-आप में एक ब्रांड है। डॉ. पाराशर के मार्ग-निर्देशन में तैयार हुआ स्कूल ऑफ लिबरल एजुकेशन का न्यूजलेटर ‘कॉन्फ्लूएन्स’ का पहला विशेषांक आज रिलीज किया गया। डॉ. लूथरा ने कहा कि शिक्षकों को रिसर्च ओरिएंटेड होना चाहिए। उन्होंने नालंदा और तक्षशिला जैसे भारत के प्राचीन शिक्षण संस्थानों का जिक्र करते हुए कहा कि रिसर्च ही एकमात्र वह रास्ता है जिससे भारत को एक ब्रांड के रूप में विकसित करने में मदद मिलेगी।
श्री अमिताभ रॉय ने अपने संबोधन में इनोवेशन पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि फैकल्टी को इनोवेटिव होना चाहिए और नये सॉल्यूशन के साथ आना चाहिए। स्कूल फॉर ऑल के संस्थापक डॉ. सुरजीत साहा ने अपने स्कूल फॉर ऑल प्रोजेक्ट के बारे में बताते हुए कहा कि किसी भी प्रोजेक्ट को शुरू करने के लिए लगन और जुनून की जरूरत होती है।
दूसरे सत्र में विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ. नीतिन गौड़ की अगुवाई में अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फरेंस का एब्स्ट्रैक्ट बुक रिलीज किया गया। दूसरे सत्र के मुख्य अतिथि द सीईओ मैगजीन के फाउंडर श्रीकांत पांडेय ने अपने स्टार्ट-अप की यात्रा के बारे में चर्चा की। टीसीएस की ग्लोबल हेड निधि रैना ने व्यक्तित्व विकास के गुर बताये और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन की प्रोफेसर डॉ. सुरभि पांडेय ने रिसर्च के लिए ग्रांट दिये जाने वाले सरकारी स्कीम के बारे में जानकारी दी। सत्र के पहले दिन का समापन स्कूल ऑफ लॉ की डीन डॉ. नमिता मलिक ने किया।
विश्वविद्यालय के चांसलर श्री सुनील गलगोटिया ने कहा कि शिक्षकों को इंडस्ट्री में हो रहे नये बदलावों और तकनीकों के बारे में जानकारी बढ़ती रहे जिसे वे विद्यार्थियों को इंडस्ट्री के अनुसार तैयार कर सकें। विश्वविद्यालय के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ध्रुव गलगोटिया ने कहा कि यह शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम शिक्षकों के साथ-साथ शोधार्थियों के लिए भी बहुत उपयोगी है। उन्हें इंडस्ट्री के विविध आयामों पर शोध करने में मदद मिलेगी। विश्वविद्यालय की डायरेक्टर एडवोकेट अनुराधा गलगोटिया ने इस कार्यक्रम के लिए अपनी शुभकामनाएं दीं। विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रोफेसर मल्लिकार्जून बाबू ने कहा कि समय-समय पर शिक्षकों के लिए ऐसे ट्रेनिंग प्रोग्राम का आयोजन होते रहना चाहिए ताकि शिक्षक इंडस्ट्री के अनुसार खुद को ढ़ाल सकें।