नई दिल्ली : विदेशी निवेशकों को इंडियन रेसिडेंट का दर्जा मिलेगा. मोदी सरकार की कैबिनेट ने इस आशय के एक प्रस्ताव को बुधवार को यानी आज मंजूरी दे दी है.
एक न्यूज़ चैनल की रिपोर्ट के अनुसार ये दर्जा उन्हीं निवेशकों को मिलेगा जो 18 महीने में कम से कम 10 करोड़ या 36 महीनों में कम से कम 25 करोड़ रुपये का निवेश करते हैं. साथ ही एक शर्त ये भी है कि विदेशी निवेश के जरिए हर कारोबारी साल (पहले साल के 1 अप्रैल से दूसरे साल के 31 मार्च तक का समय) में कम से कम 20 भारतीयों को रोजगार मिलता हो.
परमानेंट रेसीडेंसी स्टेटस यानी पीआरएस के नाम की यह व्यवस्था पहले 10 साल के लिए प्रभावी होगी. बाद में इसका 10 साल के लिए और नवीनीकरण कराया जा सकता है. पीआरएस एक तरह से ‘मल्टीपल एंट्री वीजा’ की तरह काम करेगा जिसमें विदेशी निवेशक जितनी बार चाहे भारत आ सकता है, जितने दिन ठहरना चाहे ठहर सकता है. दूसरे शब्दों में कहें तो हर बार भारत आने के लिए वीजा नहीं लेना होगा. फिलहाल निवेशकों को पांच साल के लिए बिजनेस वीजा मिलता है.
पीआरएस दर्जा वालों के पति या पत्नी और बच्चों को देश मे निजी क्षेत्र में नौकरी पाने या फिर यहां के विश्वविद्यालयों में पढ़ाई की अनुमति होगी. पीआरएस दर्जा पाने वाले यहां रहने के लिए एक घर भी खरीद सकते हैं.
पीआरएस की सुविधा कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन और आस्ट्रेलिया में उपलब्ध है. भारत में इसे लागू करने का मकसद ज्यादा से ज्यादा विदेशी निवेश जुटाने और मेक इन इंडिया को प्रोत्साहित करने का का है.