नई दिल्ली : चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) के लिए काम करने वाले सभी चीनी नागरिकों की सुरक्षा को लेकर पाकिस्तारन ने ‘दोस्ती’ निभाते हुए अपने जवानों को मुस्तैद किया है और इस कॉरिडोर की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। बताया जा रहा है कि सुरक्षा के मद्देनजर इस कॉरिडोर में लगे चीन के एक नागरिक के पीछे पाक के दो जवान लगाए गए हैं। एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, ऐसा इसलिए किया गया है ताकि प्रोजेक्ट पर कोई खतरा ना मंडरा सके। बता दें कि भारत के खिलाफ एनएसजी मुद्दे को लेकर पाकिस्तान और चीन तमाम मंचों पर अपनी दोस्ती निभाते आए हैं। अब इन दोनों मुल्कों की दोस्ती का अगला कदम चीन-पाकिस्ता न इकोनॉमिक कॉरिडोर को माना जा रहा है।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, इस प्रोजेक्ट पर मंडराते खतरे को देखते हुए और अपनी दोस्ती की खातिर पाकिस्तान ने सीपीईसी पर काम कर रहे हर चीनी नागरिक की सुरक्षा में दो पाकिस्ताेनी सुरक्षाकर्मी लगाए गए हैं। इस कॉरिडोर को सबसे ज्यादा खतरा बलूची राष्ट्र वादियों और तालिबानी गुटों से हैं जो इस प्रोजेक्ट को नुकसान पहुंचाने के लिए कई हमले कर चुके हैं, जिसके चलते पाकिस्तान ने ऐसा कदम उठाया है। इस क्षेत्र में काम करने वाले 7,036 चीनी कर्मचारियों की सुरक्षा में पाकिस्तान की ओर से 14,503 जवान तैनात किए गए हैं।
चीन और पाकिस्तान के इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट पर कई बार हमले हो चुके हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए पाकिस्तान ने इस परियोजना में काम कर रहे 7036 चीनी नागरिकों के लिए लिए 14503 सुरक्षा जवानों को तैनात किया है। अधिकतर पाकिस्तानी सैनिक पंजाब प्रांत में तैनात किए गए हैं। बता दें कि इस प्रोजेक्ट के जरिए चीन अपने माल को सीधा ग्वादर से अपने देश में दाखिल करा सकेगा उसे हिंद महासागर होकर जाने की जरूरत नहीं होगी।
जानकारी के मुताबिक, पाकिस्ताेन की नेशनल असेंबली में दिए गए लिखित जवाब में कहा गया कि पंजाब में 7,036 चीनी पेशेवरों की सुरक्षा 6,364, बलूचिस्ताीन में 3134, सिंध में 2654, ख्यामबर में 1912 और इस्लारमाबाद में 439 जवान कर रहे हैं। यह जानकारी पाकिस्तातन पीपल्सए पार्टी की सदस्य शाहिदा रहमान के सवाल पर दी गई थी। 2000 किलोमीटर लंबा सीपीईसी पाकिस्ताीन के लिए ‘गेम चेंजर’ के तौर पर देखा जा रहा है, जो चीन के कशगर को बलूचिस्ताबन के ग्वा्दर बंदरगाह से जोड़कर आर्थिक ढांचे को मजबूत करेगा। इस कॉरिडोर के बनने से गिलगित-बाल्टिस्तािन से गुजरने वाले काकोरम हाइवे फिर से बनकर तैयार हो जाएगा, जिससे चीन को पाकिस्तालन अधिकृत कश्मीर में घुसने का रास्ता मिल जाएगा।