रचना प्रियदर्शिनी : किसी भी इंसान के जीवन को बेहतर बनाने में शिक्षा का बेहद अहम योगदान है. इस बात को ध्यान में रखते हुए देश में संविधान में भी 6 से 14 वर्ष तक की आयु के बच्चों की शिक्षा को मौलिक अधिकार की श्रेणी में शामिल किया गया है. साथ ही, देश की शैक्षणिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए केंद्र तथा राज्य सरकारों द्वारा देश में कई तरह की शैक्षिक योजनाएं एवं अनुसंधान कार्यक्रमों का संचालन किया जाता है. उत्तर प्रदेश में देश का पहला किन्नर विश्वविद्यालय है।
बावजूद इसके देश का एक बड़ा तबका शिक्षा के इन लाभों से वंचित है और उनमें से एक नाम ट्रांसजेंडर समुदाय का भी है. इसमें कोई दो राय नहीं है कि हमारे समाज में ट्रांसजेंडर समुदाय की गरीबी और बेरोजगारी का एक बहुत बड़ा कारण उनका अशिक्षित होना भी है. ‘तथाकथित सामान्य समाज’ द्वारा बहिष्कृत और उपेक्षित किये जाने की वजह से अधिकांश ट्रांसजेंडर्स शिक्षा प्राप्त करने से वंचित रह जाते हैं. ऐसे सभी ट्रांसजेंडर्स के लिए अब उत्तर प्रदेश में एक विश्वविद्यालय की स्थापना की जा रही है.
जी हां, देश में ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए पहला विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के फाजिलनगर ब्लाक में खोला गया है. 15 जनवरी, 2020 से यहां एडमिशन भी शुरू हो चुके हैं. शुरुआत में ट्रांसजेंडर समुदाय द्वारा पोषित दो बच्चों को एडमिशन दिया गया था. उसके बाद फरवरी-मार्च से अन्य कक्षाएं भी लगनी शुरू हो गयीं.
इस विश्वविद्यालय का निर्माण अखिल भारतीय किन्नर शिक्षा सेवा ट्रस्ट के द्वारा किया गया है. इस विश्वविद्यालय में किन्नर समुदाय के लोग पहली कक्षा से लेकर स्नातकोत्तर कक्षा तक की पढ़ाई कर सकेंगे. यही नहीं, वे यहां अनुसंधान करके पीएचडी की डिग्री भी हासिल कर सकेंगे.
ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ.कृष्ण मोहन मिश्र की मानें, तो यह अपने तरीके की देश का पहला विश्वविद्यालय है, जहां ट्रांसजेंडर कम्युनिटी के लोग पढ़ सकेंगे. इस विश्वविद्यालय के निर्माण का बजट करीब 200 करोड़ रुपये है, जिसके लिए किन्नर समाज की महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी, शबनम मौसी सहित कई लोगों द्वारा मदद की गयी है. पहले चरण में प्राथमिक विद्यालय से शुरुआत हुई है. इस विश्वविद्यालय के खुलने से ट्रांसजेंडर समुदाय में बेहद खुशी का माहौल है.
बता दें कि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) के किसी कोर्स में दाखिला लेनेवाली पहली ट्रांसजेंडर भी उत्तर प्रदेश की ही थीं. जुलाई 2017 सत्र से इग्नू द्वारा ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों को नि:शुल्क शिक्षा देने का निर्णय लिया गया था. इसका लाभ लेते हुए लखनऊ निवासी सुधा किन्नर ने क्षेत्रीय केंद्र में बीपीपी कोर्स में अपना नामांकन कराया था.
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उल्लेखनीय है कि ट्रांसजेंडर (अधिकारों की सुरक्षा) विधेयक 2019 ट्रांसजेंडर (अधिकारों की सुरक्षा) विधेयक, 2019 को लोकसभा में 19 जुलाई, 2019 को सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत द्वारा पेश किया गया था. इस बिल को 5 अगस्त, 2019 को लोकसभा द्वारा पारित कर दिया गया, जिसके बाद 26 नवंबर, 2019 को ट्रांसजेंडर (अधिकारों की सुरक्षा) विधेयक 2019 को राज्यसभा ने भी अपनी मंजूरी दे दी.