BIHAR : सूबे के नवादा जिले में पुलिस ने मरने के पहले मरने की एफआइआर दर्ज कर ली। यही नहीं डॉक्टरों ने भी पहले ही पोस्टमॉर्टम तक कर दिया। चौकिएं मत, जैसा आप सोच रहे वैसी बात नहीं। मामला मौत की तिथि के एक महीने पहले की तिथि में पुलिस एफआइआर और एफआइआर के एक महीने पूर्व की तिथि में पोस्टमार्टम रिपोर्ट का है। पुलिस से लेकर डॉक्टर तक के इस कारनामे की चर्चा है। दूसरी ओर पीडि़त पक्ष परेशान है।
क्या है मामला
जिले के रोह बाजार में 3 दिसंबर 2017 को कौवाकोल निवासी अविनाश कुमार की पत्नी 30 वर्षीया शिम्पी कुमारी सड़क हादसे का शिकार हो गईं थीं। नवादा जाने के क्रम में बाइक में एक ऑटो चालक ने धक्का मार दिया था। इलाज के दौरान सदर अस्पताल में शिम्पी की मौत हो गई थी।
उसी रात शव का पोस्टमार्टम हुआ था। घटना के बाद फर्दबयान देने की तिथि 3 दिसम्बर की थी। लेकिन, थानाध्यक्ष ने जो कांड दर्ज किया, उसमें 3 नवम्बर दर्ज कर दिया। फर्दबयान पति ने दिया था।
पहली गलती तो एफआइआर दर्ज करने में हुई। उससे भी बड़ी गलती पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हुई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में शव प्राप्ति की तिथि 3 दिसम्बर दर्ज है, लेकिन चिकित्सक का हस्ताक्षर 3 अक्टूबर की तिथि में है। महिला की मौत के बाद जिलाधिकारी की गोपनीय शाखा द्वारा रात्रि में पोस्टमार्टम का आदेश निर्गत किया गया था। तीन डॉक्टरों डॉ. अजय कुमार, डॉ. पी भरत और डॉ. श्रीकान्त प्रसाद ने पोस्टमार्टम किया था।
तीनों के हस्ताक्षर 03-10-2017 की तिथि में ही हैं। इस मामले में थानाध्यक्ष व चिकित्सक से गलती हुई, लेकिन इससे परिजन परेशान हैं। गलती सुधार कराने के लिए पीडि़त परिवार कभी थाने तो कभी डॉक्टर के यहां दौड़ लगा रहे हैं। पर, कोई अपनी गलती मानने को तैयार नहीं है।