बीजिंग : परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की सदस्यता को लेकर चीन ने आखिरकार अपना रंग दिखा ही दिया । चीन ने कहा कि परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में देशों को शामिल करने को लेकर सदस्यों में मतभेद बना हुआ है और दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में इस सप्ताह होने वाली एनएसजी की बैठक के एजेंडे में यह मुद्दा शामिल भी नहीं है। इससे एक दिन पहले विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा था कि बीजिंग एनएसजी में भारत के प्रवेश का विरोध नहीं कर रहा है। एनएसजी के सदस्य अब भी बंटे हुए हैं, ऐसे में नए देशों के प्रवेश के बारे में बात करना जल्दबाजी होगी।
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने संवाददाताओं से कहा कि हमने इस बात पर जोर दिया है कि एनएसजी गैर एनपीटी देशों के प्रवेश को लेकर अब भी बंटा हुआ है और मौजूदा परिस्थितियों में हम आशा करते हैं कि एनएसजी विचार-विमर्श पर आधारित फैसला करने के लिए विस्तृत चर्चा करेगा। विदेश सचिव एस जयशंकर के 16-17 जून के चीन दौरे और सुषमा के बयान के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए हुआ ने कहा कि 24 जून से सोल में होने जा रही एनएसजी की बैठक के एजेंडे में भारत को इस 48 सदस्यीय समूह में शामिल करने का मुद्दा शामिल नहीं है।
उन्होंने कहा कि हम समझते हैं कि इस साल सोल में हो रहे वार्षिक सम्मेलन में ऐसा कोई विषय शामिल नहीं है। हम समझते हैं कि गैर एनपीटी देश एनएसजी में अपने प्रवेश को लेकर फिक्रमंद हैं। परंतु एनएसजी बंटा हुआ है और ऐसे में सोल में होने जा रहे वार्षिक सम्मेलन में प्रवेश के मुद्दे के बारे में बात करना अभी उचित नहीं है। हुआ ने कहा कि मैं इसका उल्लेख करना चाहती हूं कि एनएसजी के एजेंडे में गैर एनपीटी देशों के एनएसजी में शामिल होने का मुद्दा कभी शामिल नहीं रहा।
इससे पहले, एनएसजी की सदस्यता पाने के लिए भारत की ओर से की जा रही पुरजोर कोशिशों के बीच विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने रविवार को कहा कि चीन एनएसजी में भारत की सदस्यता का विरोध नहीं कर रहा है। इस बीच, विदेश सचिव एस जयशंकर चीन का समर्थन हासिल करने की कवायद के तहत 16-17 जून को बीजिंग की अघोषित यात्रा पर गए थे। सुषमा ने कहा कि चीन 48 देशों के समूह एनएसजी की सदस्यता के लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रियाओं और मापदंड की बात कर रहा है।