
प्रदर्शनकारी किसानों ने अपने उत्पादों की उचित कीमत तथा पूर्ण ऋणमाफी पर जोर दिया।
भाजपा शासित मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में छह जुलाई को शुरू हुई किसान यात्रा मंगलवार दोपहर 12 बजे के आसपास जंतर-मंतर पहुंची। इसका नेतृत्व स्वाभिमानी शेतकारी संगठन के नेता व सांसद राजू शेट्टी तथा स्वराज अभियान के संस्थापक योगेंद्र यादव ने किया।
शेट्टी तथा यादव ने ऋणमाफी तथा उत्पादों की उचित कीमत की मांग को दोहराते हुए कहा कि किसान बेहद तनाव के दौर से गुजर रहे हैं।
शेट्टी ने कहा, सरकार ने मध्य प्रदेश के किसानों को उनके उत्पादों की सही कीमत देने के बजाय उनके सीने पर गोलियां दाग दीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते हैं कि किसान केवल अनाज का उत्पादन करें। वह सोचते हैं कि वे जानवर हैं। किसानों को प्रतिशोध लेना होगा।
प्रदर्शनकारी किसान मूलत: मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र, तमिलनाडु तथा उत्तर प्रदेश के थे।
उन्होंने मांग की कि मोदी सरकार चुनाव के अपने वादे को पूरा करे, जिसमें उसने उत्पादन लागत पर 50 फीसदी मुनाफा और एम.एस.स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को लागू करने का वादा किया था।
प्रदर्शनकारियों में महाराष्ट्र के उन किसानों के 40 बच्चे भी शामिल थे, जिन्होंने हाल में खुदकुशी की थी। उन्होंने प्रदर्शनकारी किसानों से अपने परिवार को नकारात्मक नतीजों से बचाने के लिए खुदकुशी नहीं करने की अपील की।
सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर, प्रशांत भूषण, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नेता सीताराम येचुरी तथा शिवसेना सांसद अरविंद सावंत उन लोगों में शामिल थे, जिन्होंने उचित कीमत सुनिश्चित करने को लेकर कानून लाने के लिए सरकार पर दबाव बनाने के लिए किसानों से एकजुट होने का आह्वान किया।
येचुरी ने कहा, हम संसद में ऋणमाफी के बारे में बात करेंगे। पर्याप्त कीमत पाना किसानों का अधिकार है। सरकार को एक कानून लाना होगा।
सावंत ने कहा कि उनकी पार्टी हमेशा किसानों के समर्थन में रही है और वह मुद्दे को संसद में उठाएगी।
जनता दल (युनाइटेड) तथा बीजू जनता दल (बीजद) के नेताओं ने भी प्रदर्शन में हिस्सा लिया।
कुल 62 किसान संघों के समन्वय संगठन राष्ट्रीय किसान महासंघ ने यात्रा से दूरी बनाए रखी और इसे राजनीति से प्रेरित करार दिया।