नई दिल्ली : कश्मीर में बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद सोशल मीडिया के दुष्प्रचार से सरकार और सेना दोनों परेशान हैं. दुष्प्रचार की इन हरकतों से सेना का मनोबल गिर रहा है. हालात ये हैं कि इसतरह की सोशल मीडिया की गतिविधियों से तंग आकर वायुसेना के एक जवान ने हाल में सोशल मीडिया पर संवदेनशील जानकारी अपने हैंडलर को दे दी. सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल कर दुश्मन सेना के बड़े अधिकारियों को बदनाम कर रहे हैं.
ये जानकारी खुद सशस्त्र सेनाओं के बड़े अधिकारियों ने राजधानी दिल्ली में आयोजित एक सेमिनार में साझा की. रक्षामंत्रालय के थिंक-टैंक, सेंटर फॉर ज्वाइंट वॉरफेयर स्टीड्ज (सेनजोस) के आयोजित सेमिनार में सेना ने सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव पर चिंता तो जताई, लेकिन इस बात को भी माना है कि तेजी से बदल रह इसी तकनीकी युग में सेना अपने-आप को अलग-थलग नहीं रख सकती है. उन्होनें कहा कि सोशल मीडिया के जरिए सेनाएं अपना प्रभाव ज्यादा बेहतर और दूर तक फैला सकती हैं.
डिफेंस इंटेलीजेंस एजेंसी (डीआईए) के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल वी जी खंडारे के मुताबिक कश्मीर में आतंकी बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने काफी कोशिश की थी कि उससे जुड़ी ज्यादा जानकारी लोगों को ना मिले लेकिन सोशल मीडिया के जरिए जिस तरह की जानकारी प्रचारित हुई. इससे सभी (अथोरेटिज) सन्न रह गए.
खंडारे ने आज राजधानी दिल्ली में ”सशस्त्र सेनाओं के लिए सोशल मीडिया- संभावनाएं और खतरा’ पर आयोजित एक सेमिनार में बोल रहे थे. उन्होनें कहा कि ”सोशल मीडिया एक ऐसा माध्यम है जहां दोस्त और दुश्मन एक ही प्लेटफार्म पर होते हैं. इसलिए परसेप्शन ही हकीकत होती है. इसके लिए सोशल मीडिया का बेहतर इस्तेमाल होना जरुरी है.”
”सेना और सोशल मीडिया: खतरें और संभावनाएं” नाम के इस सेमिनार में सेना के बड़े अधिकारियों के अलावा गूगल, फेसबुक, ट्विटर और वोडाफोन के अधिकारियों ने भी शिरकत की. इस मौके पर सोशल मीडिया के खतरों पर बोलते हुए वायुसेना प्रमुख, एयर चीफ मार्शल अरुप राहा ने कहा कि ”हमारे दुश्मन सोशल मीडिया के जरिए लगातार हमपर नजर रखते हैं. सोशल मीडिया पर संवदेनशील जानकारी शेयर करना जोखिम भरा भी हो सकता है.”
अफगानिस्तान का एक उदाहरण देते हुए वायुसेना प्रमुख ने कहा कि अफगानिस्तान सेना के चार हेलीकॉप्टरों को तालिबानियों ने सोशल मीडिया पर फोटो देखकर ही निशाना बनाया था. सोशल मीडिया के जरिए जवानों और अधिकारियों की तैनाती कहां पर है, आसानी से पता लगाई जा सकती है. उन्होनें आगे कहा कि किसी भी संवदेनशील बेस या मिलेट्री स्टेशन की फोटो सोशल मीडिया पर देखकर दुश्मन उसका गलत फायदा उठा सकता है. यहां तक की सोशल मीडिया पर अधिकारियों से दोस्ती गाढ़कर उनसे संवदेनशील जानकारी जुटा लेते हैं. हमारे दुश्मन सेना के बड़े अधिकारियों को सोशल मीडिया पर बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं, जिसके चलते सेना का मनोबल गिर रहा है.
वायुसेना प्रमुख ने कहा कि भविष्य में होने वाले युद्ध बेहद गुपचुप तरीके से लड़े जायेंगे. उन लड़ाईयों में एक भी गोली नहीं चलाने की जरुरत पड़ेगी. ये युद्ध स्पेस और साईबर-स्पेस में लड़े जाएंगे. इन लड़ाईयों के लिए सिर्फ हैकर्स की जरुरत होगी. ये हैकर्स किसी भी देश के कम्यूनिकेशन सिस्टम में सेंध लगाकर हमारे ट्रांसपोर्ट-सिस्टम, बैंकिंग, आईटी सेक्टर में घुसकर उस देश को पंगु बना सकते हैं. उन्होनें कहा कि आईएस जैसे आंतकी संगठन भी सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर अपनी विचारधारा का प्रचार प्रसार कर रहे हैं.
सेमिनार में बोलते हुए वायुसेना प्रमुख अरुप राहा ने कहा कि सेनाएं समाज से अलग-थलग नहीं रह सकती हैं. उन्होनें कहा कि सोशल मीडिया के इस्तेमाल में खतरों से ज्यादा संभावनाए ज्यादा हैं. हमें काउंटर-नैरेटिव यानि अपने दुश्मन का सोशल मीडिया पर ही प्रभावी ढ़ग से जवाब देना चाहिए.
कश्मीर की बाढ़ और दूसरे प्राकृतिक आपदाओं में सेना द्वारा सोशल मीडिया के बेहतर इस्तेमाल का उदाहण देते हुए उन्होनें कहा कि हमें नई-नई तकनीक से अपडेट रहना चाहिए क्योंकि ये फोर्स-इनहेंसर है ना कि बोझ.
बताते चलें कि भारतीय थलसेना ट्विटर और फेसबुक पर ना केवल देश के सरकारी संस्थानों में टॉप पर है बल्कि दुनिया में भी टॉप-लिस्ट में शुमार है. भारतीय सेना के ट्विटर (@adgpi) पर जहां करीब नौ लाख फॉलोअर हैं, फेसबुक पर करीब 42 लाख फॉलोअर हैं. यही वजह है कि अब भारतीय वायुसेना भी सोशल मीड़िया पर ही जल्द दस्तक देने वाली है. नौसेना और रक्षा मंत्रालय ने भी हाल ही में सोशल मीडिया पर अपने एकाउंट खोले हैं और लगातार ऑपरेशन से जुड़ी जानकारियां अपडेट कर रहे हैं.