नई दिल्ली| अग्रणी प्रौद्योगिकी कंपनी डेल ईएमसी के प्रबंध निदेशक (इंडिया इंटरप्राइज) राजेश जेने का कहना है कि 2030 तक देश का हर संस्थान डिजिटलीकृत हो चुका होगा, ऐसे में व्यावसायिक संस्थानों को भविष्य के अनुरूप अपनी अवसंरचना तैयार करने के बारे में विचार करने की जरूरत है और भारत इसका अपवाद नहीं होगा।
डेल टेक्नोलॉजीज द्वारा जारी एक रिपोर्ट में अनुमान व्यक्त किया गया है कि सॉफ्टवेयर में बेहद तेजी से उन्नति के साथ उभरती प्रौद्योगिकी, वृहद आंकड़ों की उपलब्धता जीवनपद्धति को बदल कर रख देगी।
2030 तक आने वाले तीन अहम बदलावों को रेखांकित करते हुए जेने ने कहा, “व्यक्ति और संगठन डिजिटलीकरण को बढ़ावा देने के मुख्य कारक होंगे, काम की कमी नहीं होगी तथा हम तत्काल चीजें सीखने के दौर में होंगे।”
‘द नेक्स्ट एरा ऑफ ह्यूमन-मशीन पार्टनरशिप्स’ शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि निरंतर परिवर्तनशील समाज में उपभोक्ता और कारोबार खुद को कैसे तैयार कर सकते हैं।
इंस्टीट्यूट फॉर द फ्यूचर (आईएफटीएफ) के नेतृत्व में दुनिया भर के 20 प्रौद्योगिकी, अकादमी एवं कारोबार विशेषज्ञों द्वारा किए गए इस शोध में यह भी प्रदर्शित किया गया है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता, रोबोटिक्स, वर्चुअल रियलिटी, ऑगमेंटेड रियलिटी और क्लाउड कंप्यूटिंग जैसी उभरती प्रौद्योगिकियां कैसे हमारे जीवन को बदल देंगी और आगामी दशक में हम कैसे काम करें।
जेने ने कहा, “डिजिटलीकरण और उभरती प्रौद्योगिकियां हमारे वास्तविक जीवन को नया आकार देंगी और हमारे उपभोक्ताओं के लिए व्यवसाय का भविष्य तय करेंगी।”
उन्होंने कहा कि 2030 तक प्रौद्योगिकी हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका होगा और मशीनें हमारी क्षमता में वृद्धि करेंगी।