जैसलमेर : भारतीय सीमा सुरक्षा बल ने पाकिस्तान की तरफ से सीमा में होने वाली घुसपैठ व मादक पदार्थों की तस्करी को रोकने के लिए जैसलमेर से सटी अन्तरराष्ट्रीय सीमा पर ‘अर्ली वार्निंग सिस्टम’ शुरू करेगी।
बीएसएफ अपने स्तर पर पर पहले से ही अलर्ट रहने के कई प्रयास कर रही है, लेकिन इस बार देशी उपकरणों का उपयोग किया जाकर ‘अर्ली वार्निंग सिस्टम’ स्थापित किया जा रहा है। सीमा सुरक्षा बल राजस्थान के प्रवक्ता उप महानिरीक्षक रवि गांधी ने बताया कि केन्द्र सरकार जम्मू कश्मीर व पंजाब से लगते कुछ बॉर्डर पर पायलट प्रोजेक्ट के रूप में ‘लेजर वॉल’ स्थापित कर रही है। वहीं, तारबंदी पर बीएसएफ की ओर से छोटी छोटी घंटियां बांधी जा रही है।
उन्होंने बताया कि कई इलाकों में तारबंदी पर घंटियां बांधी जाएगी। जहां पर जैसे ही कोई घुसपैठिया तारबंदी पर चढ़ने का प्रयास करेगा घंटियां बजनी शुरू हो जाएगी जिससे बीएसएफ संभावित घुसपैठ को रोक सकेगा। गांधी के अनुसार घुसपैठ को रोकने के लिए देशी तरीके इजाद किए जा रहे हैं, जिसमें एक ‘ट्रिप लेयर’ नाम एक पटाखा स्थापित किया जाएगा। तारबंदी के निकट यह पटाखा रहेगा जैसे ही घुसपैठिए के कदम इससे छुने के साथ ही तेज धमाके के साथ तेज रोशनी निकलेगी जिससे ड्यूटी पर तैनात जवानों को घुसपैठ की जानकारी मिल जाएगी। उन्होंने बताया कि घुसपैठ को रोकने के लिए पोंचू नामक जाल भी बिछाया जा रहा है जिसमें घुसपैठिए के कदम फंस जाएगा और वह आगे नहीं बढ़ पाएगा और घुसपैठिया बीएसएफ की पकड़ में होगा।
गांधी ने बताया कि पाकिस्तान से लगी जैसलमेर जिले की सीमा पर यह ‘अर्ली वार्निंग सिस्टम’ दक्षिण क्षेत्र में शुरू किया गया है, ताकि जिस क्षेत्र में घुसपैठ होने की संभावना रहती है या फिर पाकिस्तान से लगी जैसलमेर सीमा पर एकल तारबंदी है और रेतीले धोरों की वजह से आसानी से तारबन्दी को लांघकर भारतीय सीमा में घुसा जा सकता है। ऐसे क्षेत्रों में ‘अर्ली वार्निंग सिस्टम’ के 5-6 तरीकों का उपयोग की शुरुआत की गई है।