नई दिल्ली : धनतेरस का पर्व और भगवान धन्वन्तरि जयंती शुक्रवार को मनाया जा रहा है। धनतेरस को लेकर बाजार सज गया है और देश भर के बाजारों में पूरी तरह रौनक छाई हुई है। वैसे तो धनतेरस पर सोना- चांदी या बर्तन खरीदने की परंपरा सदियों से रही है लेकिन इस बार अमृत योग और स्थिर लग्न में खरीदारी का कई गुना फल मिलेगा। आज दिन भर अमृत योग रहेगा।
धनतेरस के दिन आभूषण की खरीद को शुभ माना जाता है। शुक्रवार को धनतेरस है और इस दिन आभूषण खरीदने के लिए देश भर के बाजारों में रौनक छाई है। इस बार धनतेरस पर रत्न एवं आभूषणों की बिक्री में भी बढ़ोतरी की उम्मीद है।
इस बार धनतेरस पर खास संयोग बन रहा है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस दिन किए गए नए कार्य निर्विघ्न संपन्न होंगे। धनतेरस के दिन स्वर्ण कलश लेकर भगवान धनवंतरी उत्पन्न हुए थे। इसलिए इस दिन सोना, चांदी, पीतल, तांबा आदि धातु निर्मित सामग्री खरीदने की प्राचीन काल से परंपरा है।
कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि धनतेरस कहलाती है। पंचांगों के अनुसार, इस बार यह तिथि 28 अक्टूबर को है। त्रयोदशी तिथि 27 अक्टूबर को शाम 04.15 बजे से शुरू होकर 28 अक्टूबर को शाम 06.20 बजे तक है। ज्योतिषियों की मानें, तो इस बार धनतेरस शुक्रवार को हस्त नक्षत्र में पड़ रहा है। धनतेरस पर नई वस्तु खरीदना शुभ माना गया है। इस दिन शाम को दीप दान करने के साथ ही दीपावली की शुरुआत हो जाती है।
कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी से पांच दिनों तक प्रकाश पर्व का उल्लास छाया रहेगा। स्थिर लग्न का आज मान तीन प्रहर होगा। इस लग्न में बर्तन सहित कोई भी धातु खरीदना मंगलकारक होगा। धनतेरस से ही दिवाली के पांच दिवसीय पर्व का आगाज़ हो जाता है। निर्णय-सिन्धु और स्कन्द पुराण के मुताबिक कार्तिक मास की त्रयोदशी को शाम के समय घर के मुख्य दरवाज़े पर दीपक जलाकर रखना चाहिए।