नई दिल्ली : शीर्ष रक्षा विशेषज्ञों ने आज नियंत्रण रेखा के पार पीओके में घुसपैठ के लिये बने ठिकानों पर लक्षित हमलों को ‘परिचालनगत जरूरत’ बताया और कहा कि सहिष्णुता की सीमा पार हो जाने के बाद इसकी जरूरत आन पड़ी थी.
सेना के पूर्व शीर्ष अधिकारियों ने सुरक्षाबलों की बहादुरी और नपे-तुले कदम तथा सेना को यह काम करने की इजाजत देने के लिए सरकार की भी प्रशंसा की एवं कहा कि काफी समय से लंबित यह रिण आज चुका दिया गया. उन्होंने यह कहते हुए इन हमलों को सही ठहराया कि सुरक्षा बल पाकिस्तान के कब्जे वाले भारतीय क्षेत्र में घुसे.
पूर्व डीजी इंफ्रैट्री लेफ्टिनेंट जनरल एस प्रसाद ने कहा कि मैं बहुत खुश हूं कि सरकार सेना को वह करने दे रही है जो उसे करने की जरूरत है. पाकिस्तानी सेना को पता चलने दीजिए कि यह हमने किया है और यदि वह अपना चाल-ढाल नहीं ठीक करती है तो हम ऐसा करते रहेंगे. हमें ऐसा करने के लिए बड़े दिल की जरूरत है.
उन्होंने कहा कि आतंकवादियों के ठिकानों के बारे में सटीक सूचना देने के लिए हमें खुफिया सूत्रों को धन्यवाद देना है. हमें सेना को खुली छूट देने के लिए सरकार को धन्यवाद देने की जरूरत है. स्पष्ट है कि सरकार ने सेना को स्पष्ट कार्रवाई निर्देश दिया जिसने लक्षित हमला किया और अच्छा नतीजा मिला. उन्होंने कहा कि सशस्त्रबलों ने अपने हमलों में बड़ा नपा-तुला कदम उठाया और इसी तरह भारत सरकार को सेना को अपना करने की छूट देकर प्रतिक्रिया देनी चाहिए.
पूर्व रॉ प्रमुख सी डी सहाय ने कहा कि ये हमले तो होने ही थे और अपरिहार्य थे और इन्हें पठानकोट या उरी हमलों से जोड़कर नहीं देखना चाहिए क्योंकि सीमापार घुसपैठ का लंबा इतिहास रहा है. उन्होंने शांति बनाए रखने के लिए पूरी परिपक्वता के साथ ऐसे मामलों से निबटने को लेकर भारत को बधाई दी.