लखनऊ : उत्तर प्रदेश में सहारनपुर स्थित प्रख्यात इस्लामिक संस्था दारुल उलूम देवबंद मुस्लिम धर्मगुरु जाकिर नाईक का समर्थन करते हुए उसके बचाव में उतर गया है. दारुल उलूम से जुड़े पदाधिकारी व उलेमा-ए-कराम ने केंद्र सरकार पर निशाना बनाते हुए डॉ जाकिर को बिना किसी जांच के ही दोषी ठहराए जाने को गलत बताया है.
दारुल उलूम के कार्यवाहक मोहतमिम मौलाना खालिक मद्रासी और जमियत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने सोमवार को एक बयान जारी कर यह बात कही.
उन्होंने कहा कि डॉ़ जाकिर के साथ उनके वैचारिक मतभेद भले ही हों, लेकिन वह एक इस्लामिक विद्वान हैं और वह कुरान की व्याख्या अपने ढंग से करते हैं. वह किसी दहशतगर्दी का समर्थन नहीं करते हैं. केंद्र सरकार और कुछ संगठन जानबूझ कर उनके खिलाफ जांच से पहले ही बवंडर खड़ा कर इस्लाम को बदनाम करने का षड्यंत्र कर रहे हैं. उन्होंने मीडिया ट्रायल पर रोष व्यक्त किया और इसकी निंदा की है.
मौलाना खालिक मद्रासी और अरशद मदनी ने कहा कि डॉ. जाकिर की दुनियाभर में इस्लामिक विद्वान के रूप में पहचान है. दारुल उलूम ने उनके नजरियात पर जो फतवे जारी किए थे उसे कुछ संगठन गलत तरीके से पेश कर रहे हैं और इसे उनके खिलाफ एक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं, जो गलत है. संस्था ऐसे संगठनों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगी.
ढाका आतंकी हमले के बाद सुखिर्यों में आए इस्लामी उपदेशक जाकिर नाईक को लेकर देश में छिड़ी बहस के बीच प्रमुख इस्लामी शिक्षण संस्था दारूल उलूम देवबंद के नायब मोहतमिम (उप कुलपति) मौलाना अब्दुल खालिक मद्रासी ने कहा कि पहले दिए गये फतवों को नाईक के खिलाफ हथियार नहीं बनाया जाए.
मौलाना मद्रासी ने कहा कि दारूल उलूम द्वारा पहले दिये गये फतवों को जाकिर नाईक के खिलाफ हथियार न बनाया जाये. हमें यकीन है कि नाईक का दहशतगर्दी से कोई सम्बध नहीं हो सकता. मद्रासी ने दारूल उलूम देवबंद का रूख साफ करते हुए कहा है कि जाकिर नाईक इस्लामी विद्वान के तौर पर पहचाने जाते हैं और हम समझते हैं कि वह किसी तरह से आतंकवाद से जुड़े हुए नहीं हो सकते.