रचना प्रियदर्शिनी-
डॉ अक्सा शेख भारत की पहली ट्रांसजेंडर हैं, जिन्हें किसी कोविड वैक्सीनेशन सेंटर का प्रमुख नियुक्त किया गया है. डॉ अक्शा के व्यक्तित्व से कई सारी उपलब्धि जुड़ी हैं. वह एक मेडिकल विशेषज्ञ हैं, जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय की एसोसिएट प्रोफेसर हैं और एक लेखिका हैं. अब हमदर्द इंस्टिच्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च (HIMSAR) के कोविड वैक्सीनेशन सेंटर की नोडल ऑफिसर के रूप में उनके साथ एक नयी उपलब्धि जुड़ गयी है.
इस उपलब्धि को पाने के पीछे उनके जीवन का लंबा संघर्ष और मानसिक त्रासदी शामिल है. हालांकि वह कहती हैं- ”भले ही मेरे जीवन का सफर बेहद संघर्षमय रहा हो, लेकिन मुझे लगता है कि अन्य ट्रांसजेंडर्स की तुलना में मैं थोड़ी सौभाग्यशाली रही. कारण कि मुझे हमेशा सही ही अपने परिवार और दोस्तों का भरपूर सपोर्ट मिला. आज मैं जो कुछ भी हूं, उनके सपोर्ट के बिना वहां तक पहुंचना मेरे लिए नामुमकिन था.
डॉ अक्शा का यह भी कहना है कि कुछ माह पूर्व जब मैंने कोविड वैक्सीनेशन सेंटर की जिम्मेदारी संभाली, तो वहां भी किस्मत से मुझे किसी तरह के भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ा बल्कि सब लोगों ने मुझे फुल सपोर्ट किया और मेरे काम की भी काफी प्रशंसा की.
ट्रांसजेंडर्स के वैक्सीनेशन की स्थिति
”सरकार द्वारा प्रायोजित कोरोना के टीकाकरण अभियान कार्यक्रम में ट्रांसजेंडर्स के जुड़ने में कोई बाधा नहीं है, लेकिन समस्या यह है कि टीकाकरण सेंटर्स पर लोगों से जो फॉर्म भरवाये जा रहे हैं, उसमें ‘पुरुष’ और ‘महिला’- दो ही विकल्प दिये गये हैं. ऐसे में ट्रांसजेंडर्स खुद को किस श्रेणी में रखते हुए टीका लगवायें?”–
डॉ अक्शा यह सवाल उठाते हुए कहती हैं कि कोरोना आपदा के शुरू होते ही, कई सारे समुदायों को टार्गेट करके उनके साथ भेदभाव किया गया. ट्रांसजेंडर समुदाय भी इससे अछूता नहीं था. कोरोना की सबसे ज्यादा मार तो उन पर ही पड़ी, क्योंकि आज भी हमारे देश के ज्यादातर ट्रांसजेंडर्स अपनी रोजी-रोटी के लिए बधाई गाने, भीख मांगने या सेक्स वर्क करने पर निर्भर है. ऐसे में बाजार ठप्प होने का सबसे ज्यादा नुकसान उन्हें ही भुगतना पड़ा. उनके बेसिक हेल्थ केयर पर भी किसी को बमुश्किल ही ध्यान गया. कहीं अगर उन्हें ये सुविधा मिली भी तो, सोशल स्टिगमा की वजह से उन्हें काफी परेशानी झेलनी पड़ी.
लाखों किन्नरों के लिए आशा की एक किरण
अब तक डॉ अक्शा ने जो भी उपलब्धियां हासिल की हैं, उससे हजारों-लाखों किन्नरों के लिए उम्मीद की एक किरण समान हैं, जो खुल कर दुनिया के सामने आना चाहते हैं और अपने सपनों को पूरा करना चाहते हैं. डॉ अक्शा ने दिल्ली स्थित बाल अधिकार संरक्षण आयोग में एक याचिका दायर करके इंटरसेक्स बच्चों के अवैध लिंग परिवर्तन ऑपरेशन पर बैन लगाने की मांग की थी. वह ट्रांसजेंडर मामलों को देखने और ट्रांसजेंडर लोगों को सशक्त बनाने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा गठित पैनल की मेंबर भी हैं.